अंतर्भाव

sharir ki sundertaa prasaadhno se nahi shubh karmo se hogi

शरीर की सुंदरता प्रसाधनों से नहीं शुभ कर्मों से होगी – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

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न जाने कितनी बार इस मल से भरे शरीर को सौंदर्य प्रसाधनों के माध्यम से सुंदर बनाने की कोशिश की…
jisne daan daya nahi ki use sukh nahi mil skta

जिसने दान, दया नहीं की उसे सुख नहीं मिल सकता – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

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पद्मपुराण के पर्व 59 में एक आध्यात्मिक उपदेश आया है, जो आत्मचिंतन के लिये उपयोगी है। यह हमें सत्कर्म करने…
poorv me argit karmo se milte hai sukh-dukh

पूर्व में अर्जित कर्मों से मिलते हैं सुख-दुख – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

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पद्मपुराण के पर्व 14 में प्रसंग है कि रावण के निवेदन पर रावण के साथ अनेक भव्य प्राणियों को सुवर्णगिरी…
ashubh karm ke nash se manushya paryaay milti hai

अशुभ कर्म के नाश से मनुष्य पर्याय मिलती है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

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पद्मपुराण के पर्व 17 में आर्यिका संयमश्री माता जी अंजना को उस समय अध्यात्म ज्ञान देती हैं जब अंजना जिन…
jo kalyankari vachan kahe vahi manav

जो कल्याणकारी वचन कहे या सुने वही मानव बाकी पुतले  – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

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पद्मपुराण के पर्व 5 में शरीर और उसके अंगों को लेकर चिंतन है। इसका हमे भी चिंतन करना चाहिए ।…

धर्म रहित कार्य से व्यक्ति नरक को प्राप्त करता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

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जीवन में दुःख के कारणों का निरंतर चिंतन करते रहना चाहिए। इससे दुःख के कारण धीरे-धीरे छूटते जाते हैं। पद्मपुराण…
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