02 Apr By admin 0 Comment In अंतर्भाव अपने किए का फल तो भोगना ही होता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
26 Mar By admin 0 Comment In अंतर्भाव मैं अच्छा तो जग अच्छा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
19 Mar By admin 0 Comment In अंतर्भाव शरीर की सुंदरता प्रसाधनों से नहीं शुभ कर्मों से होगी – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
12 Mar By admin 0 Comment In अंतर्भाव जिसने दान, दया नहीं की उसे सुख नहीं मिल सकता – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
05 Mar By admin 0 Comment In अंतर्भाव पूर्व में अर्जित कर्मों से मिलते हैं सुख-दुख – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
26 Feb By admin 0 Comment In अंतर्भाव अशुभ कर्म के नाश से मनुष्य पर्याय मिलती है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
19 Feb By admin 0 Comment In अंतर्भाव जो कल्याणकारी वचन कहे या सुने वही मानव बाकी पुतले – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
12 Feb By admin 0 Comment In अंतर्भाव मनुष्य जन्म ही श्रेष्ठ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
05 Feb By admin 0 Comment In अंतर्भाव धर्म रहित कार्य से व्यक्ति नरक को प्राप्त करता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज