22 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना अठारहवां दिन : इंसान खुद कर्म का जाल बुनता है और उसी में फंस जाता है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
21 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना सत्रहवां दिन : मन में आए विचारों का भी हो जाता है बन्ध – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
20 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना सोलहवां दिन : जिनेन्द्र के प्रति भी अपनवत का व्यवहार रखें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
19 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना पंद्रहवां दिन : पुरुषार्थ ही व्यक्ति को बनाता है मजबूत – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
18 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना चौदहवां दिन : शरीर का सही उपयोग आत्मसाधना से ही – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
17 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना तेरहवां दिन : संतान को शुभकर्म की प्रेरणा दें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
17 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना बारहवां दिन : आपसी विवाद के कारण संस्कृति, संस्कार का नाश – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
16 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना ग्यारहवां दिन : संत और प्रभु जगत के होते है और जगत उनका – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
14 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना दसवाँ दिन : गलतियां स्वीकारना पाप नहीं प्रायश्चित है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
13 Aug By admin 0 Comment In चिंतन, मौन साधना नौवां दिन : इंसान खुद कर्म का जाल बुनता है और उसी में फंस जाता है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज