27 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग बयालीस : केशलोंच आत्मविकास का कारण, इससे होती है जिनधर्म की प्रभावना-आचार्य शांतिसागर महाराज
26 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग इकतालीस : सात व्यसनों और पांच पापों को छोड़कर राजा को करना चाहिए शासन-आचार्य शांतिसागर महाराज
18 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग चालीस : निश्चय रूपी फल बढ़ने से हो जाता है व्यवहार रूपी फूल संकुचित – आचार्य श्री शांतिसागर महाराज
17 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग उनतालीस : सम्यक्त्व की महिमा इतनी अधिक है कि उससे प्राप्त किया जा सकता है मोक्ष – आचार्य श्री शांतिसागर महाराज
14 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग अढतीस : उपवास या अल्प आहार से प्रमाद कम होकर बढ़ती है विचार-शक्ति-आचार्य शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
13 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग सैंतीस : आत्मध्यान में इंद्रीय सुख नहीं, वहां तो है केवल आत्मा का आनंद-आचार्य शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
12 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग छत्तीस : हजारों चीटियां चढ़ी शरीर पर लेकिन नहीं टूटा था आचार्य श्री का ध्यान – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
11 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग पैंतीस : आचार्य श्री शांतिसागर की जिन साधना के फल से गूंगा लगा था बोलने – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
10 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग चौंतीस : आचार्य श्री के प्रभाव से व्यसनी व्यक्ति ने छोड़े सारे कुकर्म और बन गया मुनि – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
09 Jun By admin 0 Comment In शांति कथा भाग तैंतीस : दुष्टों पर भी अमृत वर्षा करते थे आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज