एक बार एक प्रसिद्ध वक्ता किसी शहर में आये हुए थे और सैंकड़ो लोग उस वक्ता को सुनने आये थे। वक्ता दर्शकों के सामने एक 20 डॉलर मूल्य का नोट अपने हाथ में लिए हुए थे। उन्होंने उस 20 डॉलर के नोट को दिखाते हुए सभी से पूछा, कौन कौन इस नोट को पाना चाहता है? लगभग सभी ने हां में जवाब दिया। उस वक्ता ने कहा मैं आप में से एक को यह नोट दूंगा। ऐसा कह कर उसने उस नोट को मरोड़ दिया। उसने पूछा, कौन-कौन अभी भी इसे पाना चाहेगा? अभी भी लगभग सभी हाथ खड़े थे। उसने फिर उस नोट को लेकर अपने जूतों से अच्छे से रगड़ दिया और फिर मरोड़ भी दिया। उसने उस नोट को उठाया और दोबारा उसको भीड़ के समक्ष दिखा कर पूछा, कौन-कौन अभी भी इसे पाना चाहता है? अब की बार यह गन्दा और मरोड़ा हुआ था। अभी भी लगभग सभी ने अपने हाथ खड़े किये हुए थे। यह देख कर वक्ता ने भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा की मैंने इस नोट के साथ ना जाने क्या क्या किया लेकिन फिर भी आप सब इसे पाना चाहते हो क्योंकि लाख मरोड़ने पर भी इसके मूल्य में परिवर्तन नहीं आया, अभी भी इसकी कीमत 20 डॉलर की है।
सीख – इसी प्रकार हमें भी अपनी क्षमता को कम नहीं आंकना चाहिए।
अनंत सागर
कहानी
(छत्तीसवां भाग)
3 जनवरी 2021, रविवार, बांसवाड़ा
‘अपनी कीमत को कम ना समझें’
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
(शिष्य : आचार्य श्री अनुभव सागर जी)
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