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Aug
कहते हैं कि संतों की गोद मां को भी भुला देती है। मुनि पूज्य सागर एक ऐसे ही संत हैं, जिनके सान्निध्य में हम सब कुछ भूल जाते हैं। हम सभी लोग धर्म से जुड़े हुए हैं, ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम लोगों का उनकी आत्मा से परिचय करवाने में उनकी मदद करें। मुनि श्री इस काम में पूरी श्रद्धा के साथ जुटे हुए हैं। उनकी एक बात मुझे हमेशा याद रहती है कि हमारी सोच का प्रभाव हमारी आत्मा पर पड़ता है, इसलिए हमें अपनी सोच अच्छी और सात्विक रखनी चाहिए। मुनि श्री मिलकर मुझे ऐसा लगा कि वे ईश्वर के सान्निध्य में हैं और सुखों के त्याग का अनुपम उदाहरण हैं। वे जगत के लिए जी रहे हैं। उनके जीवन से हमें हमेशा प्रेरणा मिलती रहेगी, ऐसा मेरा मानना है।
ब्रह्मकुमारी शांति दीदी
किशनगढ़
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