वर्तमान में समाज में अध्यात्म के ज्ञान की बहुत आवश्यकता है, क्योंकि इसकी कमी से ही हम क्रोध आदि कषायों पर नियंत्रण नही कर पा रहे हैं। इसके चलते समाज में आज तनाव बना हुआ है। जहां पर मंदिर है वहीं पर एक अध्यात्म कक्ष (स्वाध्याय) भवन हो, जहां पर अध्यात्म की चर्चा प्रतिदिन होनी चाहिए। जितना जरूरी भगवान का अभिषेक, पूजन है आज उतना ही जरूरी आध्यत्मिक ज्ञान भी है।
आध्यात्मिक ज्ञान ही हमें अपने अंदर की शक्ति की पहचान करवाता है। हमें अपने कर्मों का स्मरण दिलवाता है। हमें नरम और विनयशील होना सिखाता है। अध्यात्म ज्ञान से कषाय बढ़ती नही बल्कि शांत करने की समझ आती है। हम लड़ाई, विवाद आदि से दूर रहते हैं।
मरीचि में ज्ञान की कमी थी तो उसने भगवान महावीर के सामने ही 363 मिथ्या मत का प्रचलन कर दिया। आज जो विवाद बने हुए हैं उन सब का कारण ज्ञान की कमी है। सामाजिक स्तर पर स्वाध्याय, अध्यात्म ज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए अभियान शुरू होना चाहिए। सजे माध्यम से हम महान आचार्यो द्वारा बताई गई ज्ञान की बातों को समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाएं। आज अध्ययन का तरीका सही नहीं होने से ही हम धर्म के वास्तविक स्वरूप को नही समझ पा रहे हैं। समाज एक शपथ अभियान अपने-अपने मन्दिर से शुरू करे और समाज का प्रत्येक व्यक्ति शपथ ले कि हम स्वाध्याय करेंगे और दूसरों को करने की प्रेरणा देंगे।
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