सातगौड़ा के पक्षी प्रेम के बारे में जानकर आपको निश्चित रूप से अच्छा लगा होगा और आज हम बात करेंगे उनकी मानवता के बारे में। सातगौड़ा को अस्पृश्य शूद्रों पर बड़ी दया आती है। उनके पडो़सी गणू ज्योति दमाले मराठा के अनुसार, जब वह अपने खेत में फसल को पानी देते थे, तो उस समय कुछ शुद्र उसमें से पानी ले लेते थे। वह उन्हें न केवल डराते थे, बल्कि अपशब्द भी बोल देते थे। उनकी देखा-देखी बाकी लोग भी यही करते थे लेकिन तब सातगौड़ा उन्हें समझाते थे और कहते थे कि उन्हें पानी लेने दिया करो। सभी जीवों के प्रति दया और करुणा का भाव रखा करो। सातगौड़ा उन शूद्रों से कहते थे तो तुम चाहो तो उनके खेत से पानी ले लिया करो और अपना जीवन अच्छे से चलाओ । शूद्र उन्हें अपना जीवनदाता मानते थे। सातगौड़ा को जब शूद्र याद करते थे, उनकी आंखों से आंसू आ जाते थे। शूद्र कहते थे कि आज हमारे जीवन में जो भी अच्छी बातें हैं, वे सब सातगौड़ा(स्वामी ) की देन हैं। शूद्रों ने सातगौड़ा के उपदेश और उनके प्रेम के कारण चोरी, कुशील सेवन, मिथ्या भाषण, शराब का त्याग कर दिया था। वे पराई स्त्रियों को मां-बहन की नजर से देखने लगे थे। उनके भीतर के ये सारे संस्कार सातगौड़ा की ही देन थे। वह हर बात उन्हें प्रेम और स्नेह से ही समझाते थे। तो आप सब श्रावक क्या समझे? दूसरों को प्रेम, करुणा, दया और वात्सल्य से ही सुधारा जा सकता है। अगर आप सब भी गरीबों और शूद्रों के प्रति करुणा भाव रखेंगे तो एक नए समाज का निर्माण होगा, जो भाई चारे का संदेश देगा। वर्तमान में सातगौड़ा (आचार्य श्री शांतिसागर महाराज) जैसे व्यक्तित्व की परम आवश्यकता है।

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