23
Mar
नरकगति में – जाति स्मरण, धर्मश्रवण ,वेदना अनुभव (तीसरी पृथ्वी तक) और उसके बाद चौथी पृथ्वी से सातवीं पृथ्वी तक जाति स्मरण, वेदना अनुभव से ।
तिर्यञ्चगति में – जाति स्मरण, धर्मश्रवण और जिनबिम्ब दर्शन से।
मनुष्यगति में – जाति स्मरण, धर्मश्रवण और जिनबिम्ब दर्शन से।
देवगति में – भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिषी देवों में तथा प्रथम स्वर्ग से बारह स्वर्ग तक जिनबिम्ब दर्शन (जिन महिमा दर्शन), धर्मश्रवण, जाति स्मरण, देवद्धिदर्शन से, तेरहवें से सोलहवें स्वर्ग तक जिनबिम्ब दर्शन(जिन महिमा दर्शन),धर्मश्रवण, जाति स्मरण से,
नवग्रैवेयक में जाति स्मरण और धर्मश्रवण से।
नवअनुदिश एवं पञ्च अनुतरों में – सम्यकद्दृष्टि ही रहते हैं।
(सर्वार्थसिद्धि )
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