व्यक्ति की पहचान और मान-सम्मान निर्भर करता है उसके व्यवहार पर- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज
उदयपुर। दिगम्बर जैन मंदिर,पहाड़ा में अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज के सानिध्य में चल रहे आठ दिवसीय सिद्धचक्र मंडल विधान के आठवें दिन सोमवार को सिद्ध भगवान के नामों का स्मरण कर 512 अर्घ्य मंडल पर चढ़ाए गए। इस अवसर पर सौधर्म इन्द्र बनने का लाभ मनोहर मधु चित्तौड़ा, यज्ञनायक बनने का लाभ कमलेश चिबोडिया को प्राप्त हुआ। पंचामृत और शांतिधारा करने का लाभ अशोक डागरिया, श्याम अन्तरसमान, प्रवीण अदवासीया, अजित मानावत को प्राप्त हुआ।
इससे पहले अष्टानिका पर्व के 8 उपवास कर रहे मुन्ना भाई और रमेश जैन की उनके निवास स्थान जैन मंदिर तक बिनोली निकाली गयी।विधान के दौरान हुए प्रवचन में अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ने कहा कि व्यक्ति की पहचान और मान-सम्मान उसके व्यवहार पर निर्भर करता है। जीवन में सुखी होना चाहते हैं तो अपने आप को बदल लो, दूसरों को बदलना चाहोगे तो अपने आप को कभी नहीं बदल पाओगे।
मुनि श्री ने कहा कि भगवान महावीर, राम, बुद्ध को याद करते हुए नमन उनके आचरण और व्यवहार के कारण किया जाता है। भारतीय संस्कृति में नमन, वंदन उसे करने को कहा गया है जिसका व्यवहार अच्छा हो। दुनिया में आज लोगों को पैसे, रूप या पद के कारण नहीं, उनके व्यवहार से याद किया जाता है।
मुनि श्री के अनुसार आप यदि धर्मसभा में बैठे हों और आपके पास कोई ऐसा व्यक्ति आकर बैठ जाए जिसका व्यवहार ठीक नही तो आप उसके पास बैठना पसंद नहीं करेंगे।व्यवहार की महत्ता को आम उदाहरणों से समझाते हुए महाराज श्री ने कहा कि तुम लड़की पसंद करने जाओ। एक लड़की सुंदर है, अच्छी नौकरी है पर स्वभाव ठीक नही है। अपशब्द का उपयोग करती है, व्यसन करती है। वहीं दूसरी लड़की काली है, नौकरी नहीं है पर उसका स्वभाव ऐसा है कि वह घर संभाल सकती है। घर में बड़े छोटे का अादर करती है। तो आप ही बताओ कि किसे पसंद करोगे?
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