मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

स्वयं की पहचान

स्वयं के आचरण से होती है। दूसरों
के अंदर आस्था और श्रद्धा आचरण से बनती है।

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मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

शांति के लिए मंदिर नहीं,

बल्कि शांति बनी रहे
इसलिए मंदिर जाना
चाहिए।

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मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

गुरु भक्ति की

कोई मर्यादा नहीं होती क्योंकि वहां कोई शर्त नहीं होती। जहां शर्त होती है, वहां मर्यादा का प्रश्न होता है।

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मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आत्म शांति के लिए

अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। जिससे पता चल जाए कि हम किस ओर जा रहे हैं. शांति या अशांति की ओर।

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मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आत्म चिंतन

तब तक नहीं हो सकता, जब तक दिगम्बर अवस्था न आ जाए।
बाकी अवस्था में तो आत्म चिंतन का भ्रम है।

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  • परिचय

परिचय एक नजर में~
मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज जी

हिन्दुस्तान के हृदय प्रदेश में ज्ञान और प्रज्ञा की धमनियों से सिंचित एक वीतरागी का मन–मस्तिष्क प्राणीमात्र के उद्धार की लौ जगाए है । स्व और स्वत्व को परमार्थ के लिए स्वाहा कर सर्वकल्याण के निमित्त निकला यह वीतरागी कुछ लक्ष्यों और सपनों के लिए समर्पित भाव से अपनी ही चाल से आगे बढ़ता जा रहा है। ‘एकला चलो रे’ के भाव के साथ ही साथ ससंघ भी होने का गुण विरले ही देखने में आता है।

यह प्रकाश पुंज आज अपनी संपूर्ण आभा में आलौकित हो रहा है। वह तेजी के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता चला जा रहा है। उसके पास प्राणी मात्र के कल्याण के लिए इतनी गहरी सोच है कि उसने पूरे भारत को जगतगुरु बनाने के सोपान भी निर्धारित कर लिए हैं। अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर वीतरागी होकर अपनी सम्पूर्ण जीवनी शक्ति उसे पाने में लगाने वाला यह आध्यात्मिक व्यक्तित्व है अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ।

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मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज जी
अंतर्मुखी विशेष

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मुनि श्री द्वारा अभियान चलाकर धार्मिक गतिविधियों को बढ़ाना

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  • मुनि श्री

अनमोल धर्म सुविचार

आत्म ज्ञान

किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है.

असली शत्रु

आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं , वो शत्रु हैं क्रोध , घमंड , लालच ,आसक्ति और नफरत.

दोष की वजह

सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.

  • अंतर्मुखी के दिल की बात

ऐसे हुआ ‘ दिवाली खुशियों वाली ‘ अभियान का जन्म

मेरा चातुर्मास उदयपुर में चल रहा है । प्रवचन और अन्य धार्मिक कार्यों में समय कैसे बीत जाता है, पता ही नहीं चलता लेकिन वो एक सितम्बर, 2019 की रात थी। बहुत देर से नींद नहीं आ रही थी। तभी मन में खयाल आया कि दिवाली नजदीक आ रही है। बीते कुछ वर्षों से हम दोहरी दिवाली अभियान चलाते रहे हैं, जिसमें गरीबों को मिठाई और कपड़े वितरित करने का कार्य होता था लेकिन यह बात मुझे हमेशा बेचैन करती थी कि केवल त्योहार पर कुछ चीजें देने मात्र से ही तो उनकी समस्या का स्थाई हल नहीं निकल सकता। मैं सोच रहा था कि उनकी गरीबी और परेशानी हमेशा के लिए दूर करने के लिए क्या हल निकाला जाए। यही सोचते-सोचते लिखना शुरू किया तो दिवाली खुशियों वाली अभियान का जन्म विचारों में हुआ, उसी रात दो बजे तक इस अभियान को मूर्त रूप देने का प्रयास करता रहा और सारी योजना बना डाली। मुझे लगा कि योजनाबद्ध तरीके से यह अभियान शुरू किया जाए तो इससे न केवल कुम्हार, बेरोजगार को काम मिलेगा बल्कि लोगों को प्राचीन संस्कृति की झलक भी दिखाई देगी।

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  • मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज जी की यात्रा की फोटो

फोटो

अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज के वैराग्य की यात्रा को फोटो के माध्यम से देखें

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  • मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

अंतर्मुखी मुनि श्री के प्रवचन

अंत: करण की पवित्रता है धर्म, बेटियां शुभकामनाएं हैं, खुशियों का संसार है मां के कदमों में, अहिंसा परम धर्म और धर्म पवित्र अनुष्ठान है, अहिंसा के पुजारी महावीर, णमोकार मंत्र का महत्व, धर्म की राह पर चलकर बनें परमात्मा, आपदाएं इंसान को मजबूत बनाती हैं, साधना! सकारात्मकता से परिपूर्ण जीवन ऊर्जा है मौन, पर कल्याण का साधन… दान! , जीवन की जीवनी ऊर्जा है आध्यात्म, गुरुकुल शिक्षा पद्धति, दस धर्म और जाप प्रमुख हैं ।

https://www.youtube.com/watch?v=8XDbcf9_UHYhttps://youtu.be/81MGPGAG77chttps://youtu.be/47vejrAey78https://youtu.be/-2kFoE4oZLI

  • प्रवचन

अंत: करण की पवित्रता है धर्म, बेटियां शुभकामनाएं हैं, खुशियों का संसार है मां के कदमों में, अहिंसा परम धर्म और धर्म पवित्र अनुष्ठान है, अहिंसा के पुजारी महावीर, णमोकार मंत्र का महत्व, धर्म की राह पर चलकर बनें परमात्मा, आपदाएं इंसान को मजबूत बनाती हैं, साधना! सकारात्मकता से परिपूर्ण जीवन ऊर्जा है मौन, पर कल्याण का साधन… दान! , जीवन की जीवनी ऊर्जा है आध्यात्म, गुरुकुल शिक्षा पद्धति, दस धर्म और जाप प्रमुख हैं ।

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छहढाला चौथी ढाल छंद-2

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मुनि निंदा बनती है जीवन में अनेक दुखों का कारण-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

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छहढाला पहली ढाल छंद 04

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