“छोटी गलतियां बड़े कष्ट का कारण बनती हैं”
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
“छोटी गलतियां बड़े कष्ट का कारण बनती हैं”
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
“आत्मचिन्तन से पहले पापों की आलोचना जरूरी”
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
“अनेक नहीं एक संगठन बनाएं, ताकि एकता बनी रहे”
अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मानते हैं कि समाज तब तक उन्नति नहीं कर सकता, जब तक कि उस समाज की बेटियां सशक्त और सुरक्षित न हों। इसलिए वह बेटियों के सुरक्षा के लिए एक दीया बेटियों के नाम अभियान चला रहे हैं। उनका कहना है कि जिस प्रकार हम हर रोज एक दीया भगवान के आगे जलाते हैं, उसी तरह से बेटियों के नाम भी एक दीया जलाएं और उनकी सुरक्षा की कामना करें। अगर सभी लोग मिलकर बेटियों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करेंगे तो निश्चित रूप से बेटियों के प्रति समाज में सकारात्मकता आएगी और उनके प्रति होने वाले अपराध भी कम होंगे। मुनि श्री की भावना है कि कोई भी संगठन भी तब तक आगे नही बढ़ सकता, जब तक उस संगठन में महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर न चलें। इसलिए उन्होंने अपने दोनों संगठनों धार्मिक श्रीफल परिवार और अंतर्मुखी परिवार में महिला शाखाओं अंतर्मुखी महिला परिवार और धार्मिक श्रीफल महिला परिवार की स्थापना की है।
हिन्दुस्तान के हृदय प्रदेश में ज्ञान और प्रज्ञा की धमनियों से सिंचित एक वीतरागी का मन–मस्तिष्क प्राणीमात्र के उद्धार की लौ जगाए है । स्व और स्वत्व को परमार्थ के लिए स्वाहा कर सर्वकल्याण के निमित्त निकला यह वीतरागी कुछ लक्ष्यों और सपनों के लिए समर्पित भाव से अपनी ही चाल से आगे बढ़ता जा रहा है। ‘एकला चलो रे’ के भाव के साथ ही साथ ससंघ भी होने का गुण विरले ही देखने में आता है। यह प्रकाश पुंज आज अपनी संपूर्ण आभा में आलौकित हो रहा है। वह तेजी के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता चला जा रहा है। उसके पास प्राणी मात्र के कल्याण के लिए इतनी गहरी सोच है कि उसने पूरे भारत को जगतगुरु बनाने के सोपान भी निर्धारित कर लिए हैं। अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर वीतरागी होकर अपनी सम्पूर्ण जीवनी शक्ति उसे पाने में लगाने वाला यह आध्यात्मिक व्यक्तित्व है अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ।
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