अपने आप को आत्म चिंतन में लगाना चाहिए – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

अपने आप को आत्म चिंतन में लगाना चाहिए – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज यस्य स्वयं स्वाभावाप्ति, रभावे कृत्स्नकर्मण: तस्मै संज्ञान रूपाय नमोस्तु परमात्मने अर्थ जिनको सम्पूर्ण कर्मों के अभाव होने पर स्वयं ही स्वभाव की प्राप्ति हो गई है, उस सम्यग्ज्ञान परमात्मा को नमस्कार हो। आज से साप्ताहिक अंतर्मुखी पाठशाला अंतर्भाव हम शुरू कर रहे हैं, जहां आप को आध्यात्मिक ज्ञान सुनने और पढ़ने को मिलेगा संसा

विश्वास एक मज़बूत नींव – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

विश्वास एक मज़बूत नींव – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज दुनिया में जितने व्यक्ति है उनके अंदर विश्वास, आत्मविश्वास और अंधविश्वास ने हर

आध्यात्म ही सफल जीवन का आधार है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आध्यात्म ही सफल जीवन का आधार है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज अज्ञानता से अधर्म का जन्म होता है। इस अधर्मिता का

साधना ही ज्ञान का मार्ग है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

साधना ही ज्ञान का मार्ग है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज वास्तव में आत्मज्ञानि कौन होता है? इस बात को एक कहानी

संस्कारों ने मोहनदास को बनाया महात्मा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

संस्कारों ने मोहनदास को बनाया महात्मा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज मैं जैन नही हूं पर जैन धर्म के सिद्धांतों को मानने

धर्म का फल जब भी मिलेगा शुभ ही मिलेगा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

धर्म का फल जब भी मिलेगा शुभ ही मिलेगा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज हम रास्ते से निकलें और हमें एक कसाई

कर्म फल कभी ना कभी मिलता ही है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

कर्म फल कभी ना कभी मिलता ही है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज हम सब का एक ही सपना, इच्छा, आकांक्षा होती

रावण… लेकिन मेरा पछतावा मेरी अच्छाई का प्रमाण! – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

रावण… लेकिन मेरा पछतावा मेरी अच्छाई का प्रमाण! – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज मैनें सीता का हरण तो किया पर उसका भोग

दृष्टि बदलो, पूरी दुनिया तुम्हारी मित्र हो जाएगी – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

दृष्टि बदलो, पूरी दुनिया तुम्हारी मित्र हो जाएगी – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज संसार सुख -दुःख का मेला है। प्राणी को इस

अध्यात्म से सच्चा मित्र दुनिया में नहीं है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

अध्यात्म से सच्चा मित्र दुनिया में नहीं है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज जब आप हवाई जहाज की यात्रा करते हैं तो