धर्म रहित कार्य से व्यक्ति नरक को प्राप्त करता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
धर्म रहित कार्य से व्यक्ति नरक को प्राप्त करता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज जीवन में दुःख के कारणों का निरंतर चिंतन
दशरथ मुनि का आत्मचिंत्तन – मुनि श्री पूज्य सागर जी
दशरथ मुनि का आत्मचिंत्तन – मुनि श्री पूज्य सागर जी जब राजा दशरथ मुनि बन गए, उस समय उन्हें अपने पुत्र आदि के प्रति स्नेह
जो कल्याणकारी वचन कहे या सुने वही मानव बाकी पुतले – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
जो कल्याणकारी वचन कहे या सुने वही मानव बाकी पुतले – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज पद्मपुराण के पर्व 5 में शरीर और
मनुष्य जन्म ही श्रेष्ठ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
मनुष्य जन्म ही श्रेष्ठ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज पद्मपुराण के पर्व 14 में मनुष्य भव की महत्ता को बताते हुए एक
पूर्व में अर्जित कर्मों से मिलते हैं सुख-दुख – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
पूर्व में अर्जित कर्मों से मिलते हैं सुख-दुख – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज पद्मपुराण के पर्व 14 में प्रसंग है कि रावण
अशुभ कर्म के नाश से मनुष्य पर्याय मिलती है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
अशुभ कर्म के नाश से मनुष्य पर्याय मिलती है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज पद्मपुराण के पर्व 17 में आर्यिका संयमश्री माता
जिसने दान, दया नहीं की उसे सुख नहीं मिल सकता – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
जिसने दान, दया नहीं की उसे सुख नहीं मिल सकता – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज पद्मपुराण के पर्व 59 में एक आध्यात्मिक उपदेश
शरीर की सुंदरता प्रसाधनों से नहीं शुभ कर्मों से होगी – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
शरीर की सुंदरता प्रसाधनों से नहीं शुभ कर्मों से होगी – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज न जाने कितनी बार इस मल से भरे
मैं अच्छा तो जग अच्छा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
मैं अच्छा तो जग अच्छा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज वर्तमान में अधिकांश व्यक्तियों से यह सुनने में आता है कि जमाना
अपने किए का फल तो भोगना ही होता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
अपने किए का फल तो भोगना ही होता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज पद्मपुराण के पर्व 72 में कहा गया है
