भय मनुष्य को जीते जी मार देता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
भय मनुष्य को जीते जी मार देता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज भय एक कर्म है जो मनुष्य को जीते जी
अपने शुभ और अशुभ कर्मों का हिसाब रखो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
अपने शुभ और अशुभ कर्मों का हिसाब रखो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज आज हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि
सब कर्म फल से मिलता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
सब कर्म फल से मिलता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज जन्म से शरीर, चेहरा सुंदर नही हो तो कई प्रकार के
सब कर्म का फल है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
सब कर्म का फल है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज जीवन की सच्चाई को जानने के लिए कर्म सिद्धांत को समझना अत्यंत
आज के कर्म सुधार लो, भूत-भविष्य अपने आप सुधर जाएंगे – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
आज के कर्म सुधार लो, भूत-भविष्य अपने आप सुधर जाएंगे – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज दुनिया में सब कर्मों के मारे हैं।
दुखों पर नहीं अपने कर्मों पर ध्यान दो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
दुखों पर नहीं अपने कर्मों पर ध्यान दो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज धर्म करने के बाद भी दुःख पीछा नही छोड़ता
ऐ मानव…मेरे सदगुणों को देखो और पहचानो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
ऐ मानव…मेरे सदगुणों को देखो और पहचानो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज एक अर्थ में रावण का जीवन प्रेरणा देने वाला भी
सहज और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जिएं – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
सहज और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जिएं – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज हमारे सुख-दुख का कारण हम स्वयं हैं। हम जैसा
सुख को चरम लक्ष्य मान लेना भारी भूल है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
सुख को चरम लक्ष्य मान लेना भारी भूल है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज धर्मानुरागी बंधुओं आज स्वामी विवेकानंद जयंती पर उनकी पुस्तक
मुनि निंदा के कारण अपमानित हुआ इन्द्र – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
मुनि निंदा के कारण अपमानित हुआ इन्द्र – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज रावण से इन्द्र विद्याधर युद्ध में पराजित हुआ। रावण ने इंद्र
