स्थितिकरण अंग में प्रसिद्ध वारिषेण की कथा
स्थितिकरण अंग में प्रसिद्ध वारिषेण की कथा सम्यकदर्शन के आठ अंगों में से छठे स्थितिकरण अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी मगधदेश के राजगृह नगर
वात्सल्य अंग में प्रसिद्ध विष्णुकुमार मुनि की कथा
वात्सल्य अंग में प्रसिद्ध विष्णुकुमार मुनि की कथा सम्यकदर्शन के सातवें वात्सल्य अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी अवन्ति देश की उज्जयिनी नगरी में श्रीवमां
प्रभावना अंग में प्रसिद्ध वज्रकुमार मुनि की कथा
प्रभावना अंग में प्रसिद्ध वज्रकुमार मुनि की कथा सम्यकदर्शन के आठवें प्रभावना अंग में प्रसिद्ध व्यक्तित्व की कहानी। हस्तिनागपुर में बल नामक राजा रहता था।
सम्यक दर्शन के आठों अंगों की पालना से होती है कषायों की समाप्ति
सम्यक दर्शन के आठों अंगों की पालना से होती है कषायों की समाप्ति मनुष्य के दो हाथ, दो पैर, नितम्ब, पीठ, उर, मस्तक यह आठ
अंधविश्वास से परे होकर करें धर्म का पालन-अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर
अंधविश्वास से परे होकर करें धर्म का पालन-अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर बिना प्रयोजन जो लोक में प्रसिद्ध है, उन बातों को धर्म समझना पाप का
सांसारिक सुखों की चाह से आराधना करना पाप और मिथ्या- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
सांसारिक सुखों की चाह से आराधना करना पाप और मिथ्या- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मनुष्य की सांसारिक सुखों की चाह अनंत है। उसकी लालसाएं
गुरु हो हिंसा और परिग्रह से रहित- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
गुरु हो हिंसा और परिग्रह से रहित- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज नदी पार करना हो तो नाविक अनुभवी चाहिए। अन्यथा नाव कहीं भी और
अहंकार से नष्ट हो जाते हैं सभी गुण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
अहंकार से नष्ट हो जाते हैं सभी गुण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण में बताए गए रावण के जीवन चरित्र को पढ़ते हैं
अहम है सम्यगदर्शन का शत्रु – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
अहम है सम्यगदर्शन का शत्रु – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज राम के पास धन, जाति सब कुछ था, पर अहंकार नहीं था तो सम्यग्दर्शन
विचार और आचरण से मिलता है मोक्ष का सुख -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
विचार और आचरण से मिलता है मोक्ष का सुख -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मोक्ष और संसार का सुख मनुष्य को कुल, जाति, धन, सम्मान
