कहानी : बैल का जोड़ा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज
कहानी : बैल का जोड़ा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज चम्पापुर नाम का छोटा-सा नगर था। यहां अभयवाहन नाम का एक राजा रहता
कहानी : हमेशा सत्य धर्म का पालन करो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
कहानी : हमेशा सत्य धर्म का पालन करो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज एक बार की बात है। चौथी कक्षा की एक
कहानी : आत्मा तो नश्वर है– अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
कहानी : आत्मा तो नश्वर है– अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज आपको यह पता ही होगा कि इतिहास में सिकंदर नाम का एक
मैं कौन? मैं कहां से आया हूं?
मैं कौन? मैं कहां से आया हूं? कब तक अपने आप को पहचान पाऊंगा? मौन साधन का पहला दिन। जिस कमरे में भगवान विराजमान थे,
अकेला महसूस कर रहा हूं, मन स्थिर नहीं है
अकेला महसूस कर रहा हूं, मन स्थिर नहीं है विचार जो हैं वो पुराने हैं, उसी में शुभ अशुभ का द्वंद है अपने आप को
पता ही नहीं चला कि आंखें कब नम हो गईं
पता ही नहीं चला कि आंखें कब नम हो गईं आज मौन के चौथे दिन, मैंने यह महसूस किया किया जो बहुत पहले कर लेना
संन्यास और संसार की चमक साथ नहीं रह सकती
संन्यास और संसार की चमक साथ नहीं रह सकती दूध से तेल निकालने की कोशिश बेकार है, क्योंकि दूध से तो घी ही निकलेगा आज
दूसरा दिन : शरीर का परिवर्तन होता है, यह सोच मृत्यु के भय को कर देगी दूर – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
दूसरा दिन : शरीर का परिवर्तन होता है, यह सोच मृत्यु के भय को कर देगी दूर – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मौन साधना
पहला दिन : चिंतन से मजबूत होती है आत्मशक्ति- अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
पहला दिन : चिंतन से मजबूत होती है आत्मशक्ति- अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आज मौन साधना के पहले दिन और पहला चिंतन करते हुए
चौथा दिन : अपने दोषों को स्वीकार करना ही सबसे बड़ा आत्मधर्म – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
चौथा दिन : अपने दोषों को स्वीकार करना ही सबसे बड़ा आत्मधर्म – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज भीलूड़ा में
