पैतीसवां दिन : धार्मिक कार्य करने पर भी क्यों बना रहता है डर – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

पैतीसवां दिन : धार्मिक कार्य करने पर भी क्यों बना रहता है डर – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से

छत्तीसवां दिन : धर्म और धर्मात्माओं पर सवाल न उठाएं – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

छत्तीसवां दिन : धर्म और धर्मात्माओं पर सवाल न उठाएं – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का

सैंतीसवां दिन : मन से त्याग दें बदले की भावना – मुनि पूज्य सागर महाराज

सैंतीसवां दिन : मन से त्याग दें बदले की भावना – मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 37वां

अड़तीसवां दिन : इंसान को कमजोर करता है अहंकार – मुनि पूज्य सागर महाराज

अड़तीसवां दिन : इंसान को कमजोर करता है अहंकार – मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 38वां दिन।

उन्तालीसवां दिन : मन वचन और काय एक हो – मुनि पूज्य सागर महाराज

उन्तालीसवां दिन : मन वचन और काय एक हो – मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 39वां दिन।

भक्तामर स्तोत्र परिचय

भक्तामर स्तोत्र परिचय भक्तामर स्तोत्र परिचय भक्तामर स्त्रोत्र का महत्त्व एवं विशेषताएं आचार्य मानतुंग स्वामी द्वारा रचित भक्तामर स्तोत्र संसार के मनुष्यों के लिए एक

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 1

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 1   भक्तामर स्तोत्र काव्य – 1 सर्व विघ्न उपद्रवनाशक भक्तामर – प्रणत मौलि मणि – प्रभाणा – मुद् द्योतकं दलित-पाप

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 2

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 2 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 2 शत्रु तथा शिरपीडा नाशक यःसंस्तुतः सकल-वांग्मय-तत्त्वबोधा- दुद्भूत-बुद्धि-पटुभिः सुरलोक-नाथै । स्तोत्रैर्जगत्त्रितय-चित्त-हरै-रुदारैः, स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेन्द्रम्

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 4

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 4   ]भक्तामर स्तोत्र काव्य – 4 जलजंतु निरोधक वक्तुं गुणान् गुण-समुद्र! शशांक-कांतान्, कस्ते क्षमः सुर-गुरु-प्रतिमोपि बुद्धया । कल्पांत-काल-पवनोद्धत-नक्र-चक्रम्, को वा

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 5

भक्तामर स्तोत्र काव्य – 5 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 5 नेत्ररोग निवारक सोऽहं तथापि तव भक्ति-वशान्-मुनीश ! कर्तुं स्तवं विगत-शक्ति-रपि प्रवृतः । प्रीत्यात्म-वीर्य-मविचार्य मृगो मृगेन्द्रम्,