भक्तामर स्तोत्र काव्य – 7
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 7 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 7 सर्व विष व संकट निवारक त्वत् संस्तवेन भव-संतति-सन् निबद्धम् पापं क्षणात्क्षय-मुपैति शरीर-भाजाम् । आक्रांत-लोक-मलिनील-मशेष-माशु, सूर्यांशु-भिन्न-मिव
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 8
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 8 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 8 सर्वारिष्ट निवारक मत्वेति नाथ ! तव संस्तवनं मयेद- मारभ्यते तनुधियापि तव प्रभावात् । चेतो
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 9
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 9 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 9 सर्वभय निवारक आस्तां तव स्तवन-मस्त-समस्त-दोषं, त्वत् संकथाऽपि जगतां दुरितानि हंति । दूरे सहस्त्र-किरणः कुरुते
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 10
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 10 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 10 कूकर विष निवारक नात्यद्भुतं भुवन-भूषण !-भूतनाथ ! , भूतैर् गुणैर् भुवि भवन्त -मभिष्टु-वंतः । तुल्या
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 11
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 11 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 11 इच्छित-आकर्षक दृष्ट्वा भवंत-मनिमेष-विलोकनीयं, नान्यत्र तोष-मुपयाति जनस्य चक्षुः । पीत्वा पयः शशिकर-द्युति-दुग्ध-सिन्धो, क्षारं जलं जलनिधे
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 13
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 13 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 13 चोर भय व अन्यभय निवारक वक्त्रम् क्व ते सुर-नरोरग नेत्र-हारि, निःशेष-निर्जित-जगत् त्रितयोप मानम् । बिम्बं
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 14
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 14 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 14 आधि व्याधि नाशक लक्ष्मी प्रदायक सम्पूर्ण-मण्डल-शशाङ्क -कला कलाप- शुभ्रा गुणास् त्रिभुवम् तव लङ्घयन्ति । ये
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 15
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 15 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 15 राजसम्मान-सौभाग्यवर्धक चित्रं कि -मत्र यदि ते त्रिदशाङ्ग नाभिर्- नीतं मना गपि मनो न विकार-मार्गम् ।
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 16
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 16 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 16 सर्व-विजय-दायक निर्धूम-वर्त्ति-रप वर्जित-तैलपूरः, कृत्स्नं जगत् त्रय मिदं प्रकटी-करोषि । गम्यो न जातु मरुतां चलिता-चलानाम्, दीपोऽपरस्
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 18
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 18 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 18 शत्रु सेना स्तम्भक नित्योदयं दलित-मोह-महान्धकारम्। गम्यं न राहु-वदनस्य न वारिदानाम् । विभ्राजते तव मुखाब्ज-मनल्प-कांति, विद्योत्
