भक्तामर स्तोत्र काव्य – 19
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 19 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 19 जादू-टोना-प्रभाव नाशक किं शर्वरीषु शशि नान्हि विवस्वता वा ? युष्मन्-मुखेन्दु दलितेषु तमस्सुनाथ । निष्पन्न-शालि-वन-शालिनी जीव-लोके,
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 20
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 20 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 20 संतान-लक्ष्मी-सौभाग्य-विजय बुद्धिदायक ज्ञानं यथा त्वयि विभाति कृताव काशम् , नैवं तथा हरि-हरादिषु नायकेषु । तेजःस्फुरन्
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 21
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 21 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 21 सर्व वशीकरण् मन्ये वरम् हरि-हरादय एव दृष्टा, दृष्टेषु येषु हृदयं त्वयि तोष -मेति ।
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 22
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 22 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 22 भूत-पिशाचादि व्यंतर बाधा निरोधक स्त्रीणां शतानि शतशो जनयंति पुत्रान्- नान्या सुतं त्वदुपमं जननी प्रसूता ।
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 24
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 24 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 24 शिर पीडा नाशक त्वा-मव्ययं विभु-मचिंत्य-मसंखय-माद्यं, ब्रह्माण-मीश्वर-मनंत-मनंग केतुम् । योगीश्वरं विदित-योग-मनेक-मेकं, ज्ञान-स्वरूप – ममलं प्रवदंति संतः
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 25
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 25 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 25 नज़र (दृष्टि देष) नाशक बुद्धस् त्व मेव – विबुधार्चित-बुद्धि-बोधात्, त्त्वं शङ्करोऽसि भुवन-त्रय- शङ्कर –त्वात्
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 26
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 26 आधा शीशी (सिर दर्द) एवं प्रसूति पीडा नाशक तुभ्यं नमस् -त्रिभुव नार्ति -हाराय नाथ, तुभ्यं नमः क्षिति-तलामल-भूषणाय । तुभ्यं
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 27
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 27 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 27 शत्रुकृत-हानि निरोधक को विस्मयोत्र यदि नाम गुणै- रशेषैस्, त्वं संश्रितो निरवकाश-तया मुनीश । दोषै-रुपात्त-विविधाश्रय-जात-गर्वैः,
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 28
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 28 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 28 सर्व कार्य सिद्धि दायक उच्चै- रशोक-तरु-संश्रित-मुन्मयूख- माभाति रूप-ममलं भवतो नितांतम् । स्पष्टोल् लसत्-किरण – मस्त-तमोवितानम्,
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 30
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 30 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 30 शत्रु स्तम्भक कुन्दाव- दात-चल-चामर-चारु-शोभं, विभ्राजते तव वपुः कलधौत-कांतम् । उद्यच् छशाङ्क -शुचि-निर्झर-वारि-धार- मुच्चैस्तटं सुरगिरे –
