रावण – भाग आठ : मैं रावण… कुलधर्मी, सच्चा क्षमाधर्मी! – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

रावण – भाग आठ : मैं रावण. कुलधर्मी, सच्चा क्षमाधर्मी! – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज   रावण @ दस : भाग आठ मैं रावण…

छहढाला तीसरी ढाल छंद-1

छहढाला तीसरी ढाल छंद-1 तीसरी ढाल सच्चा सुख और द्विविध मोक्षमार्ग का लक्षण आतम को हित है सुख, सो सुख आकुलता बिन कहिये । आकुलता

छहढाला तीसरी ढाल छंद-2

छहढाला तीसरी ढाल छंद-2 छहढाला तीसरी ढाल निश्चय रत्नत्रय का स्वरूप पर-द्रव्यन तें भिन्न आप में, रुचि सम्यक्त्व भला है। आप रूप को जानपनो, सो

छहढाला तीसरी ढाल छंद-3

छहढाला तीसरी ढाल छंद-3 तीसरी ढाल व्यवहार सम्यग्दर्शन जीव-अजीव तत्त्व अरु आस्रव, बन्धरु संवर जानो। निर्जर मोक्ष कहे जिन तिनको, ज्यों का त्यों सरधानो॥ है

छहढाला तीसरी ढाल छंद-5

छहढाला तीसरी ढाल छंद-5 तीसरी ढाल मध्यम, जघन्य, अन्तरात्मा और सकल परमात्मा का स्वरूप मध्यम अन्तर आतम हैं जे, देशव्रती अनगारी। जघन कहे अविरत –

छहढाला तीसरी ढाल छंद-6

छहढाला तीसरी ढाल छंद-6 तीसरी ढाल निकल परमात्मा का स्वरूप और उसके ध्यान का उपदेश ज्ञानशरीरी त्रिविध कर्ममल – वर्जित, सिद्ध महन्ता। ते हैं निकल

छहढाला तीसरी ढाल छंद-8

छहढाला तीसरी ढाल छंद-8 तीसरी ढाल आकाश, काल और आस्रव का स्वरूप व भेद सकल – द्रव्य को वास जास में, सो आकाश पिछानो। नियत

छहढाला तीसरी ढाल छंद-11

छहढाला तीसरी ढाल छंद-11 तीसरी ढाल सम्यक्त्व के पच्चीस दोष और आठ गुण वसु मद टारि निवारि त्रिशठता, षट् अनायतन त्यागो। शंकादिक वसु दोष बिना,

छहढाला तीसरी ढाल छंद-12

छहढाला तीसरी ढाल छंद-12 तीसरी ढाल सम्यक्त्व के अंगों का वर्णन जिन वच में शंका न धार ,वृष भव-सुख-वांछा भानै। मुनि-तन मलिन न देख घिनावै,

छहढाला तीसरी ढाल छंद-14

छहढाला तीसरी ढाल छंद-14 तीसरी ढाल मद,छह अनायतन व तीन मूढ़ता तप को मद न मद जु प्रभुता को, करै न सो निज जानै। मद