छहढाला चौथी ढाल छंद-3
छहढाला चौथी ढाल छंद-3 चौथी ढाल सम्यग्ज्ञान के भेद, परोक्ष और प्रत्यक्ष का लक्षण तास भेद दो हैं परोक्ष, परतछि तिन माहीं। मति श्रुत
छहढाला चौथी ढाल छंद-4
छहढाला चौथी ढाल छंद-4 चौथी ढाल सकल प्रत्यक्ष का लक्षण व ज्ञान की महिमा सकल द्रव्य के गुण अनन्त, परजाय अनन्ता । जानै एकै काल,
छहढाला चौथी ढाल छंद-5
छहढाला चौथी ढाल छंद-5 चौथी ढाल ज्ञान की महिमा, ज्ञानी और अज्ञानी के कर्मनाश में अन्तर कोटि जन्म तप तपैं, ज्ञान बिन कर्म झरैं जे।
छहढाला चौथी ढाल छंद-7
छहढाला चौथी ढाल छंद-7 चौथी ढाल ज्ञान की महिमा धन समाज गज बाज, राज तो काज न आवै। ज्ञान आप को रूप भये, फिर अचल
छहढाला चौथी ढाल छंद-9
छहढाला चौथी ढाल छंद-9 चौथी ढाल पुण्य-पाप में हर्ष-विषाद का निषेध पुण्य-पाप फलमाहिं, हरख बिलखौ मत भाई। यह पुद्गल परजाय, उपजि विनसैं फिर थाई।। लाख
छहढाला चौथी ढाल छंद-10
छहढाला चौथी ढाल छंद-10 चौथी ढाल सम्यक्चारित्र के भेद, अहिंसा और सत्य अणुव्रत के लक्षण सम्यग्ज्ञानी होय, बहुरि दिढ़ चारित लीजै। एकदेश अरु सकलदेश, तसु
छहढाला चौथी ढाल छंद-11
छहढाला चौथी ढाल छंद-11 चौथी ढाल अचौर्य, ब्रह्मचर्य और परिग्रहपरिमाण अणुव्रतों का स्वरूप तथा दिग्व्रत का लक्षण जल मृतिका बिन और, नाहिं कछु गहैं अदत्ता।
छहढाला चौथी ढाल छंद-14
छहढाला चौथी ढाल छंद-14 चौथी ढाल शिक्षाव्रतों के लक्षण धर उर समताभाव, सदा सामायिक करिये। परब चतुष्टय माहिं, पाप तज प्रोषध धरिये।। भोग और
छहढाला चौथी ढाल छंद-15
चौथी ढाल अतिचार न लगाने का आदेश और व्रत पालन का फल बारह व्रत के अतीचार, पन-पन न लगावै। मरण समय संन्यास धार, तसु दोष
छहढाला चतुर्थ ढाल सारांश
छहढाला चतुर्थ ढाल सारांश चतुर्थ ढाल का सारांश सम्यग्दर्शन हो जाने के बाद धर्मों से युक्त स्व-पर पदार्थों को प्रकाशित से करने वाला जो ज्ञान
