छहढाला दूसरी ढाल छंद 1
छहढाला दूसरी ढाल छंद 1 दूसरी ढाल संसार भ्रमण का कारण ऐसे मिथ्यादृग-ज्ञान-चरण, वश भ्रमत भरत दुख जन्म-मरण। तातैं इनको तजिये सुजान, सुन तिन
छहढाला दूसरी ढाल छंद 2
छहढाला दूसरी ढाल छंद 2 दूसरी ढाल अगृहीत-मिथ्यादर्शन का लक्षण और जीवतत्त्व का लक्षण जीवादि प्रयोजनभूत तत्व, सरधै तिन माहीं विपर्ययत्व। चेतन को है उपयोग
छहढाला दूसरी ढाल छंद 3
छहढाला दूसरी ढाल छंद 3 दूसरी ढाल जीव तत्त्व का विपरीत-श्रद्धान पुद्गल नभ धर्म अधर्म काल, इनतैं न्यारी है जीव-चाल। ताकों न जान विपरीत मान,
छहढाला दूसरी ढाल छंद 5
छहढाला दूसरी ढाल छंद 5 दूसरी ढाल अजीव एवं आस्रव तत्त्व का विपरीत श्रद्धान तन उपजत अपनी उपज जान, तन नसत आपको नाश मान। रागादि
छहढाला दूसरी ढाल छंद 7
छहढाला दूसरी ढाल छंद 7 दूसरी ढाल निर्जरा एवं मोक्ष तत्त्व का विपरीत श्रद्धान और अगृहीत मिथ्याज्ञान का स्वरूप रोके न चाह निज शक्ति खोय,
छहढाला दूसरी ढाल छंद 8
छहढाला दूसरी ढाल छंद 8 दूसरी ढाल अगृहीत-मिथ्याचारित्र का लक्षण व गृहीत मिथ्यात्व आदि के वर्णन की सूचना इन जुत विषयनि में जो प्रवृत्त, ताको
छहढाला दूसरी ढाल छंद 9
छहढाला दूसरी ढाल छंद 9 दूसरी ढाल गृहीत-मिथ्यादर्शन और कुगुरु का स्वरूप जो कुगुरु कुंददेव कुधर्म सेव, पोषे चिर दर्शन मोह एव। अन्तर रागादिक
छहढाला दूसरी ढाल छंद 10
छहढाला दूसरी ढाल छंद 10 दूसरी ढाल कुगुरु- कुदेव का स्वरूप धारैं कुलिंग लहि महत-भाव, ते कुगुरु जन्म जल उपलनाव। जे रागद्वेष मल करि मलीन,
छहढाला दूसरी ढाल छंद-11,12
छहढाला दूसरी ढाल छंद-11,12 दूसरी ढाल कुदेव- कुधर्म का लक्षण एवं गृहीत मिथ्याज्ञान के कथन की प्रतिज्ञा ते हैं कुदेव, तिनकी जु सेव, शठ करत
छहढाला दूसरी ढाल छंद-14
छहढाला दूसरी ढाल छंद-14 छहढाला दूसरी ढाल गृहीत-मिथ्याचारित्र का स्वरूप जो ख्याति लाभ पूजादि चाह, धरि करन विविधविध देह दाह। आतम अनात्म के ज्ञानहीन, जे
