छहढाला पहली ढाल छंद 04

छहढाला पहली ढाल छंद 04 पहली ढाल कृति की प्रामाणिकता और निगोद के दु:ख तास भ्रमन की है बहु कथा, पै कछु कहूँ कही मुनि

छहढाला पहली ढाल छंद 06

छहढाला पहली ढाल छंद 06 पहली ढाल त्रस पर्याय की दुर्लभता और तिर्यंचगति के दु:ख दुर्लभ लहि ज्यों चिन्तामणि, त्यों पर्याय लही त्रसतणी। लट पिपीलि

छहढाला पहली ढाल छंद 07

छहढाला पहली ढाल छंद 07 पहली ढाल तिर्यंच गति में असैनी और सैनी के दु:ख कबहूँ पंचेन्द्रिय पशु भयो, मन बिन निपट अज्ञानी थयो। सिंहादिक

छहढाला पहली ढाल छंद 09

छहढाला पहली ढाल छंद 09 पहली ढाल तिर्यंचगति में दु:खों की अधिकता और नरकगति की प्राप्ति का कारण वध-बन्धन आदि दु:ख घने, कोटि जीभतैं जात

छहढाला पहली ढाल छंद 10

छहढाला पहली ढाल छंद 10 पहली ढाल नरक की भूमि स्पर्श और नदीजन्य दु:ख तहाँ भूमि परसत दुख इसो, बिच्छू सहस डसें नहिं तिसो। तहाँ

छहढाला पहली ढाल छंद 11

छहढाला पहली ढाल छंद 11 पहली ढाल नरक में सेमर वृक्ष, सर्दी और गर्मी के दु:ख सेमर-तरु-जुत दल-असिपत्र-असि ज्यों देह विदारैं तत्र। मेरु समान लोह

छहढाला पहली ढाल छंद 12

छहढाला पहली ढाल छंद 12 पहली ढाल नरक में अन्य नारकियों व असुरकुमारों द्वारा उदीरित और प्यास के दु:ख तिल-तिल करैं देह के खण्ड, असुर

छहढाला पहली ढाल छंद 13

छहढाला पहली ढाल छंद 13 पहली ढाल नरक की भूख, आयु और मनुष्यगति प्राप्ति का वर्णन तीन लोक को नाज जु खाय, मिटै न भूख

छहढाला पहली ढाल छंद 14

छहढाला पहली ढाल छंद 14 पहली ढाल मनुष्यगति में गर्भवास और प्रसवजन्य दु:ख जननी-उदर बस्यो नव मास, अंग-सकुचतैं पाई त्रास। निकसत जे दु:ख पाये घोर,

छहढाला पहली ढाल छंद 15

छहढाला पहली ढाल छंद 15 छहढाला पहली ढाल मनुष्यगति में बाल्यावस्था, जवानी व वृद्धावस्था के दु:ख बालपने में ज्ञान न लह्यो, तरुण समय तरुणी-रत रह्यो।