छहढाला पहली ढाल छंद 16
छहढाला पहली ढाल छंद 16 छहढाला पहली ढाल देवगति में भवनत्रिक के दु:ख कभी अकाम निर्जरा करै, भवनत्रिक में सुर-तन धरै। विषय-चाह-दावानल दह्यौ, मरत विलाप
छहढाला पहली ढाल छंद 17
छहढाला पहली ढाल छंद 17 छहढाला पहली ढाल देवगति में वैमानिक देवों के दु:ख जो विमानवासी हू थाय, सम्यग्दर्शन बिन दु:ख पाय। तहँ ते चय
छहढाला पहली ढाल छंद 08
छहढाला पहली ढाल छंद 08 छहढाला पहली ढाल पंचेन्द्रिय पशुओं के निर्बलता आदि अन्य दु:ख कबहूँ आप भयो बलहीन, सबलनि करि खायो अतिदीन। छेदन भेदन
प्रेक्टिकल संत हैं मुनि पूज्य सागर
प्रेक्टिकल संत हैं मुनि पूज्य सागर मुनि पूज्य सागर जी महाराज ने चातुर्मास के दौरान किशनगढ़ में धर्म प्रभावना की। मेरी नजर में वह एक
मुनि श्री से मिला आगे बढ़ने का हौसला
मुनि श्री से मिला आगे बढ़ने का हौसला जब मैं महाराज श्री से मिली तो कुछ चीजों को लेकर बहुत परेशान थी। मैंने उनसे पूछा
सौभाग्यशाली है किशनगढ़ की जनता और मैं भी
सौभाग्यशाली है किशनगढ़ की जनता और मैं भी मुनि श्री पूज्य सागर जी के किशनगढ़ आने से यहां की धरा सदा के लिए पवित्र हो
खुली किताब हैं मुनि श्री पूज्य सागर
खुली किताब हैं मुनि श्री पूज्य सागर अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज से यूं तो मेरा रिश्ता ऐसा ही था, जैसा कि एक संत
साथ लेकर चलना सीखा
साथ लेकर चलना सीखा गुरुदेव से मिलने के बाद मेरे जीवन में काफी परिवर्तन आया है। उनसे मैंने सीखा कि सभी को साथ लेकर कैसे
मिला जीवन जीने का नया नजरिया
मिला जीवन जीने का नया नजरिया आत्म-अवलोकन को सदैव सीखने की प्रक्रिया माना गया है और जब हमेशा परहित की चिंता करने वाला संत इस
तत्ववेत्ता महापुरुष दूर कर रहे हैं अंधकार
तत्ववेत्ता महापुरुष दूर कर रहे हैं अंधकार चिंतन से जनसरोकार पूरे होते हैं और जितना चिंतन बढ़ेगा, उतनी ही चिंता कम होती जाएगी, यह मैंने
