जीवन सफल हुआ मेरा
जीवन सफल हुआ मेरा मैं वह भाग्यशाली हूं, जिसे अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज की 48 दिवसीय मौन साधना के दौरान उनकी साधना
नई ऊर्जा से लबरेज हो गया
नई ऊर्जा से लबरेज हो गया जब से मुनि श्री का किशनगढ़ आगमन हुआ है, तब से मैं लगभग हर रोज उनके साथ रहता हूं।
सबसे अलग हैं मुनि पूज्य सागर
सबसे अलग हैं मुनि पूज्य सागर किशनगढ़ बहुत से मुनियों की कर्मस्थली रही है। आयुर्वेदाचार्य होने की वजह से मैं कई मुनियों और संतों के
बेटे के ससुर जी को दिया नया जीवन
बेटे के ससुर जी को दिया नया जीवन हमारे जीवन में उनके आने के बाद सुख, शांति और समृद्धि बढ़ी। जीवन में रिक्तता पूर्ण हुई
अपने रास्ते खुद बनाना सीखा
अपने रास्ते खुद बनाना सीखा महाराज जी से मिलने के बाद हमने अपनी सोच से आगे चलना और बढ़ना सीखा। उन्होंने हमें बताया कि हमें
सरल महात्मा हैं मुनि पूज्य सागर
सरल महात्मा हैं मुनि पूज्य सागर मुनि पूज्य सागर जी एक क्लिष्ट संत न होकर, सरल महात्मा हैं। वह जो शिक्षा देते हैं, उससे सभी
सभी संतों के लिए अनुकरणीय
सभी संतों के लिए अनुकरणीय मुनि पूज्य सागर जी खास बात यह है कि उनका व्यक्तित्व एक संत का व्यक्तित्व है। वह जिस तरह से
चली गई नकारात्मकता
चली गई नकारात्मकता महाराज पूज्य सागर से जब से मिली हूं, तब मैं ही नहीं, परिवार के सभी लोग जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक
उन्हीं की प्रेरणा से चले धर्म की राह पर
उन्हीं की प्रेरणा से चले धर्म की राह पर मुनि पूज्य सागर जी क्षुल्लक अवस्था में सागवाड़ा आए थे, आज वो मुनि हैं। धर्म की
असत्य पाप में प्रसिद्ध सत्यघोष की कहानी
असत्य पाप में प्रसिद्ध सत्यघोष की कहानी जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र सम्बन्धी सिंहपुर नगर में राजा सिंहसेन रहता था। उसकी रानी का नाम रामदत्ता था। उसी
