तीसरे चोरी पाप में प्रसिद्ध तापस की कहानी
तीसरे चोरी पाप में प्रसिद्ध तापस की कहानी वत्सदेश की कौशाम्बी नगरी में राजा सिंहस्थ रहता था। उसकी रानी का नाम विजया था। वहाँ एक
चौथे कुशील पाप में प्रसिद्ध यमदण्ड कोतवाल की कहानी
चौथे कुशील पाप में प्रसिद्ध यमदण्ड कोतवाल की कहानी आहीर देश के नासिक्य नगर में राजा कनकरथ रहते थे उनकी रानी का नाम कनकमाला था।
सत्य अणुव्रत में प्रसिद्ध धनदेव सेठ की कहानी
सत्य अणुव्रत में प्रसिद्ध धनदेव सेठ की कहानी अयोध्यानगरी में भवदत्त नाम का सेठ रहता था। उसकी स्त्री का नाम धनदत्ता था और पुत्र का
सत्य अणुव्रत में प्रसिद्ध धनदेव सेठ की कहानी
सत्य अणुव्रत में प्रसिद्ध धनदेव सेठ की कहानी दूसरे सत्याणुव्रत में प्रसिद्ध धनदेव सेठ की कथा इस प्रकार हैं। जम्बूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र सम्बन्धी
श्रावकाचार – आगम के मूल कर्ता हैं तीर्थंकर भगवान- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
श्रावकाचार – आगम के मूल कर्ता हैं तीर्थंकर भगवान- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आगम ( जैन शास्त्र) के मूल कर्ता तीर्थंकर भगवान हैं। आज
श्रावकाचार – हमारा ध्यान सदैव गुण ग्रहण करने में हो-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
श्रावकाचार – हमारा ध्यान सदैव गुण ग्रहण करने में हो-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज धर्म और धर्म के धारक जीवों की निंदा से दूर रहना
श्रावकाचार – धर्मात्मा के अनादर से बचें-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
श्रावकाचार – धर्मात्मा के अनादर से बचें-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज जिनके घर कांच के हो वह कभी दूसरों के घर मे पत्थर नहीं फेंकते
श्रावकाचार – सम्यकदर्शन ही मनुष्य का सच्चा दोस्त- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
श्रावकाचार – सम्यकदर्शन ही मनुष्य का सच्चा दोस्त- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज संसार में मनुष्य का कोई सच्चा मित्र है तो वह सम्यग्दर्शन धर्म।
श्रावकाचार – सम्यकदर्शन ही मनुष्य का सच्चा दोस्त- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
श्रावकाचार – सम्यकदर्शन ही मनुष्य का सच्चा दोस्त- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज संसार में मनुष्य का कोई सच्चा मित्र है तो वह सम्यग्दर्शन धर्म।
चार अनुयोग – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
चार अनुयोग – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज बच्चों आज पाठशाला में जैन धर्म के शास्त्रों को चार भागों में विभाजित किया उनके बारे पढ़ेंगे
