आर्त्तध्यान -अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
पाठशाला में आज बात करेंगे आर्त्तध्यान की । आर्त्त का मतलब है-पीड़ा या दुःख । प्रिय मनुष्य या वस्तु के वियोग और अप्रिय मनुष्य या वस्तु के
अंदर की शक्ति ही हमें ताकत देगी – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
अंदर की शक्ति ही हमें ताकत देगी – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज बच्चों आज पाठशाला में बात करते है अपने अंदर की शक्ति को
धर्म के समागम से प्राणी समस्त इष्ट वस्तुओं को प्राप्त कर सकता है – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
धर्म के समागम से प्राणी समस्त इष्ट वस्तुओं को प्राप्त कर सकता है – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आज पाठशाला में बात करेंगे देशभूषण
तप-संयम अभीष्ट उपलब्धियों का एकमात्र मार्ग – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
तप-संयम अभीष्ट उपलब्धियों का एकमात्र मार्ग – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण पर्व 85-86 में त्रिलोकमण्डल हाथी से सम्बंधित बातें आईं हैं। उसे सुनते
राम ने बनाया अधिपति – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
राम ने बनाया अधिपति – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज बच्चों, पद्मपुराण के पर्व 88 में राम ने अन्य राजाओं को कौन- कौन सा देश
धार्मिकता का मार्ग – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
धार्मिकता का मार्ग – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज बच्चों,आज हम पाठशाला में पद्मपुराण के पर्व 92 में आए एक प्रसंग पर चर्चा करेंगे। सप्तर्षि
लक्ष्मण का वैभव – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
लक्ष्मण का वैभव – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण पर्व 94 में लक्ष्मण के वैभव का वर्णन आया है। आओ जानते हैं क्या था
वन में भी सेवा-सत्कार – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
वन में भी सेवा-सत्कार – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज सीता को वन से कौन लेकर गया? इसका वर्णन पद्मपुराण पर्व 99 में मिलता है।
लवण और अंकुश की सर्वगुणसम्पन्नता – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
लवण और अंकुश की सर्वगुणसम्पन्नता – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण के पर्व 100 में लिखा है- लवण और अंकुश दोनों सर्वगुणसम्पन्न थे। उन
अपना समय पुण्य करने और पाप का नाश करने में लगाइए – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
अपना समय पुण्य करने और पाप का नाश करने में लगाइए – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज पद्मपुराण के पर्व 74 में एक प्रसंग आता
