धर्म के निमित्त हुई हिंसा दुख का कारण नहीं-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
धर्म के निमित्त हुई हिंसा दुख का कारण नहीं-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज धर्म का रथ दो पहियों से चलता है। पहला पहिया श्रावक का
जिसका जीवन व्यवस्थित वही सफल- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
जिसका जीवन व्यवस्थित वही सफल- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज जिसका जीवन व्यवस्थित हो वही मनुष्य जीवन में सफलता को प्राप्त करता हुआ परमात्मा पद
गृहस्थ के लिए अणुव्रत की पालना- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
गृहस्थ के लिए अणुव्रत की पालना- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज गृहस्थ के आचरण को मर्यादित करने के 12 प्रकार के व्रतों का वर्णन पहले
किसी को दुख पहुंचाना भी हिंसा -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर
किसी को दुख पहुंचाना भी हिंसा -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर हिंसा का मतलब मात्र किसी जीव की हत्या कर देना नहीं है। किसी के मन
अनाचार से बचें तभी व्रत का उत्तम पालन-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
अनाचार से बचें तभी व्रत का उत्तम पालन-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज जो नियम, व्रत लिया है, उसमें अनजाने में, प्रमाद कर्म उदय से जो
राग द्वेष की भावना से बोला गया वचन असत्य -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
राग द्वेष की भावना से बोला गया वचन असत्य -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज जो पदार्थ जिस रूप मे है, उस रूप में नहीं कहना,
आगम के अभ्यास से दूर होता है अज्ञानमूलक असत्य -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
आगम के अभ्यास से दूर होता है अज्ञानमूलक असत्य -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज किसी भी प्रकार के दबाव, राग-द्वेष, कषाय आदि में आकर, हंसी
अचौर्य अणुव्रत के पालन से चिंतामुक्त जीवन -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
अचौर्य अणुव्रत के पालन से चिंतामुक्त जीवन -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पांच अणुव्रत में आज तीसरे अचौर्यणुव्रत की बात करेंगे। इस अणुव्रत का पालन
चोरी का निमित्त बनना भी चोरी का हिस्सा-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
चोरी का निमित्त बनना भी चोरी का हिस्सा-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज सही नहीं है ,बल्कि चोरी का अर्थ विस्तार से समझना चाहिए । व्यक्ति
ब्रह्मचर्य व्रत में दोष के कारण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
ब्रह्मचर्य व्रत में दोष के कारण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पुरूष का स्त्री से, स्त्री का पुरुष से, पुरुष का पुरुष से, स्त्री
