धर्म के अनुसार चलने की प्रतिज्ञा लें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
धर्म के अनुसार चलने की प्रतिज्ञा लें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज पद्म पुराण के पर्व 77 में एक प्रसंग है जिसमें
विज्ञान और धर्म मिलकर ही कोरोना को दूर कर सकते हैं -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
विज्ञान और धर्म मिलकर ही कोरोना को दूर कर सकते हैं -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आत्म चिंतन का समय है। एक दूसरे की गलती
दया, धर्म को ना छोडे़ं, उसी से बढ़ेगी आत्मशक्ति – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
दया, धर्म को ना छोडे़ं, उसी से बढ़ेगी आत्मशक्ति – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण के पर्व अस्सी में लिखा धर्म उपदेश कोरोना काल
जब तक संसार है तब तक विषयों से यह प्राणी तृप्त नहीं होता है – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
जब तक संसार है तब तक विषयों से यह प्राणी तृप्त नहीं होता है – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण पर्व तिरासी में वैराग्य
आत्मचिंतन से ही दुःख होंगे दूर – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
आत्मचिंतन से ही दुःख होंगे दूर – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज जीवन में दुख की अनुभूति तभी कम होती है जब व्यक्ति आत्मचिंतन करता
भरत का चिन्तन सभी के लिए चिन्तनयोग्य – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
भरत का चिन्तन सभी के लिए चिन्तनयोग्य – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण पर्व 85- 86 का प्रसंग है। भरत ने पूर्व भव का
धर्मात्मा की सेवा में बड़ा पुण्य – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
धर्मात्मा की सेवा में बड़ा पुण्य – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज अंतरात्मा में यही सोचना चाहिए कि मुनियों की सेवा, दर्शन और आहार दान
चिंतन में सामाजिक पालना – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
चिंतन में सामाजिक पालना – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण पर्व 96 में राम के मन में उत्पन्न हुए विचारों का प्रसंग आया है।
तीन लोकों में कहीं भी सुख नहीं – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
तीन लोकों में कहीं भी सुख नहीं – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पापकर्म के प्रकट होने से सीता वन में रो रही थीं और
कितने भी बड़े हो जाएं, पद की गरिमा बनाए रखें – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज
कितने भी बड़े हो जाएं, पद की गरिमा बनाए रखें – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज पद्मपुराण के पर्व 80 पर राम से प्रेरणा लेने
