भक्तामर स्तोत्र काव्य – 6
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 6 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 6 विद्या प्रदायक अल्प- श्रुतं श्रुतवतां परिहास-धाम, त्वद्भक्ति-रेव-मुखरी-कुरुते बलान् माम् । यत्कोकिलः किल मधौ मधुरं विरौति,
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 12
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 12 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 12 हस्तिमद –निवारक यैः शान्त – राग – रुचिभिः परमाणुभिस् – त्वम् , निर्मापितस् – त्रिभुवनैक
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 17
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 17 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 17 सर्व उदर पीडा नाशक नास्तं कदाचि – दुपयासि न राहु-गम्यः, स्पष्टी-करोषि सहसा युगपज् जगन्ति ।
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 23
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 23 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 23 प्रेत बाधा निवारक त्वामा-मनंति मुनयः परमं पुमांस- मादित्य-वर्ण-ममलं तमसः पुरस्तात् त्वामेव सम्य-गुपलभ्य जयंति मृत्युं, नान्यः
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 29
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 29 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 29 नेत्र पीडा व बिच्छू विष नाशक सिंहासने मणि-मयूख-शिखा-विचित्रे, विभाजते तव वपुः कानकाव-दातम् । बिम्बं वियद्-विलस-दंशु-लता-वितानं,
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 31
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 31 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 31 राज्य सम्मान दायक व चर्म रोग नाशक छत्र-त्रयं तव विभाति शशाङ्क-कांत- मुच्चैः स्थितं स्थगित-भानु-कर-प्रतापम् ।
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 38
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 38 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 38 हाथी वशीकरण श्च्योतन्-मदाविल-विलोल-कपोलमूल- मत्त-भ्रमद-भ्रमर-नाद विवृद्ध-कोपम् । ऐरावताभ-मिभ-मुद्धत-मापतन्तम्, दृष्टवा भयं भवति नो भवदा-श्रितानाम् ॥38॥ अन्वयार्थ :
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 39
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 39 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 39 सिंह भय निवारक भिन्नेभ-कुम्भ-गल-दुज्ज्वल-शोणि ताक्त- मुक्ताफल-प्रकर-भूषित-भूमि भागः । बद्ध-क्रमः क्रमगतं हरिणाधि – पोऽपि, नाक्रामति
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 46
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 46 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 46 कारागार आदि बन्धन विनाशक आपाद-कण्ठ-मुरु शृंखल-वेष्टि ताङ्गा, गाढं बृहन् निगड -कोटि-निघृष्ट -जङ्घाः । त्वन्
धर्म के प्रति बढ़ा सम्मान
धर्म के प्रति बढ़ा सम्मान मेरी जिंदगी के पहले गुरुदेव हैं। जब वह बेंगलुरु चातुर्मास के लिए आए थे, उससे पहले मैं किसी भी गुरु
