बारहवां दिन : आपसी विवाद के कारण संस्कृति, संस्कार का नाश – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

आज चिंतन में पीड़ा थी। पीड़ा भी यही थी कि जिनकी आराधना से कर्मों का नाश होता है, आज उनकी ही आराधना के नाम पर

बारहवां दिन : आपसी विवाद के कारण संस्कृति, संस्कार का नाश – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

बारहवां दिन : आपसी विवाद के कारण संस्कृति, संस्कार का नाश – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आज चिंतन में पीड़ा थी। पीड़ा भी यही

तेरहवां दिन : संतान को शुभकर्म की प्रेरणा दें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

तेरहवां दिन : संतान को शुभकर्म की प्रेरणा दें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से आज चिंतन में चिन्ता

चौदहवां दिन : शरीर का सही उपयोग आत्मसाधना से ही – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

चौदहवां दिन : शरीर का सही उपयोग आत्मसाधना से ही – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मैं निर्मल हूं, मैं कर्ममल रहित हूं, मैं सिद्ध

पंद्रहवां दिन : पुरुषार्थ ही व्यक्ति को बनाता है मजबूत – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

पंद्रहवां दिन : पुरुषार्थ ही व्यक्ति को बनाता है मजबूत – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से मेरे जीवन का

सोलहवां दिन : जिनेन्द्र के प्रति भी अपनवत का व्यवहार रखें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

सोलहवां दिन : जिनेन्द्र के प्रति भी अपनवत का व्यवहार रखें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना

सत्रहवां दिन : मन में आए विचारों का भी हो जाता है बन्ध – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

सत्रहवां दिन : मन में आए विचारों का भी हो जाता है बन्ध – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से

अठारहवां दिन : इंसान खुद कर्म का जाल बुनता है और उसी में फंस जाता है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

अठारहवां दिन : इंसान खुद कर्म का जाल बुनता है और उसी में फंस जाता है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर

उन्नीसवां दिन : साधना मेरा भविष्य का भाग्य बना रही है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

उन्नीसवां दिन : साधना मेरा भविष्य का भाग्य बना रही है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना

बीसवां दिन : अपने अंदर की शक्ति को पहचानना महत्वपूर्ण – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

बीसवां दिन : अपने अंदर की शक्ति को पहचानना महत्वपूर्ण – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज मुनि पूज्य सागर की डायरी से अन्तर्मुखी की मौन