आओ जानें महावीर को…– अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आओ जानें महावीर को…– अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज भगवान महावीर को जन जन जानता है । महावीर एक ऐसे तीर्थंकर हैं जिन्हें

मैं रावण… भविष्य का तीर्थंकर! – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज

मैं रावण… भविष्य का तीर्थंकर! – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज लेखक- मुनि श्री पूज्य सागर महाराज ,पुष्पगिरि पूरा देश मुझे यानि रावण को

मैं सात्विक था… तामसिक नहीं!

मैं सात्विक था… तामसिक नहीं! नीति से दिग्विजय हुआ, कभी परस्त्री गमन नहीं स्वीकारा लेखक- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज मैं सदा सात्विक विचारों

भट्टारक परम्परा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भट्टारक परम्परा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज इतिहास गवाह है कि समय के साथ श्रद्धा,ज्ञान और आचार में शिथिलता आती जा रही है साथ

आदिनाथ से महावीर: मानव पुरूषार्थ से मानव कल्याण की यात्रा – मुनिश्री पूज्य सागर जी महाराज

आदिनाथ से महावीर: मानव पुरूषार्थ से मानव कल्याण की यात्रा – मुनिश्री पूज्य सागर जी महाराज जैन धर्म की परम्परा में वर्तमान काल में भगवान

कहानी:- ‘सिक्के के दोनों पहलू देखिए’ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

कहानी:- ‘सिक्के के दोनों पहलू देखिए’ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज एक समय की बात है। एक गांव में 6 अंधे व्यक्ति

प्रेरणा -‘किसी भी काम का उद्देश्य होना जरूरी है’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

प्रेरणा -‘किसी भी काम का उद्देश्य होना जरूरी है’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज हम कोई भी काम करें, उसके पीछे एक उद्देश्य

प्रेरणा :- ‘गुरू के प्रति समर्पण ने नरेन्द्र को बनाया विवेकानंद’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

प्रेरणा :- ‘गुरू के प्रति समर्पण ने नरेन्द्र को बनाया विवेकानंद’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज मेरे प्यारे अमेरिकी भाइयों और बहनों…..इस उद्बोधन

स्वाध्याय : 21 अरिहन्त पूजा विशेष – 1

स्वाध्याय : 21 अरिहन्त पूजा विशेष – 1 महापुराणान्तर्गत (श्रावकाचार भाग 1) में श्रावकधर्म का वर्णन करते हुए अरिहन्त देव की पूजा चार प्रकार की

स्वाध्याय – 16 : समवसरण के बारह कोठे

स्वाध्याय – 16 : समवसरण के बारह कोठे समवसरण में आठवीं भूमि श्रीमण्डपभूमि में बारह कोठे होते हैं। यहां पर संसारी जीव बैठकर तीर्थंकर भगवान