17
Aug
चिंतन, मनन और मौन साधना हर प्राणी के लिए संभव नहीं है लेकिन मैंने ये विशेष गुण मुनि श्री पूज्य सागर जी के जीवन में महसूस किए हैं। आर्ष मार्गानुसार सटीक जवाब मुनि श्री के ज्ञान का आसान कराते हैं। चातुर्मास के समय अखंड मौन साधना और अन्न त्याग देखने का सौभाग्य मुझे पहली बार प्राप्त हुआ है। इसके लिए मैं मुनि श्री का आभारी हूं। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आगे भी हमें मुनि श्री के सान्निध्य में चातुर्मास का अवसर प्राप्त हो।
सुरेंद्र कुमार दगड़ा
व्यवस्थापक, ट्रस्टी
श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर ट्रस्ट
—
Please follow and like us:
Give a Reply