भक्तामर स्तोत्र काव्य – 10
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 10 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 10 कूकर विष निवारक नात्यद्भुतं भुवन-भूषण !-भूतनाथ ! , भूतैर् गुणैर् भुवि भवन्त -मभिष्टु-वंतः । तुल्या
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 11
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 11 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 11 इच्छित-आकर्षक दृष्ट्वा भवंत-मनिमेष-विलोकनीयं, नान्यत्र तोष-मुपयाति जनस्य चक्षुः । पीत्वा पयः शशिकर-द्युति-दुग्ध-सिन्धो, क्षारं जलं जलनिधे
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 13
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 13 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 13 चोर भय व अन्यभय निवारक वक्त्रम् क्व ते सुर-नरोरग नेत्र-हारि, निःशेष-निर्जित-जगत् त्रितयोप मानम् । बिम्बं
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 14
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 14 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 14 आधि व्याधि नाशक लक्ष्मी प्रदायक सम्पूर्ण-मण्डल-शशाङ्क -कला कलाप- शुभ्रा गुणास् त्रिभुवम् तव लङ्घयन्ति । ये
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 15
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 15 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 15 राजसम्मान-सौभाग्यवर्धक चित्रं कि -मत्र यदि ते त्रिदशाङ्ग नाभिर्- नीतं मना गपि मनो न विकार-मार्गम् ।
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 16
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 16 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 16 सर्व-विजय-दायक निर्धूम-वर्त्ति-रप वर्जित-तैलपूरः, कृत्स्नं जगत् त्रय मिदं प्रकटी-करोषि । गम्यो न जातु मरुतां चलिता-चलानाम्, दीपोऽपरस्
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 18
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 18 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 18 शत्रु सेना स्तम्भक नित्योदयं दलित-मोह-महान्धकारम्। गम्यं न राहु-वदनस्य न वारिदानाम् । विभ्राजते तव मुखाब्ज-मनल्प-कांति, विद्योत्
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 19
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 19 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 19 जादू-टोना-प्रभाव नाशक किं शर्वरीषु शशि नान्हि विवस्वता वा ? युष्मन्-मुखेन्दु दलितेषु तमस्सुनाथ । निष्पन्न-शालि-वन-शालिनी जीव-लोके,
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 20
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 20 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 20 संतान-लक्ष्मी-सौभाग्य-विजय बुद्धिदायक ज्ञानं यथा त्वयि विभाति कृताव काशम् , नैवं तथा हरि-हरादिषु नायकेषु । तेजःस्फुरन्
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 21
भक्तामर स्तोत्र काव्य – 21 भक्तामर स्तोत्र काव्य – 21 सर्व वशीकरण् मन्ये वरम् हरि-हरादय एव दृष्टा, दृष्टेषु येषु हृदयं त्वयि तोष -मेति ।
