भाग बाईस : आत्मशक्तियों को केंद्रित करके विपत्तियों के स्वागत के लिए तैयार हो जाते थे आचार्य श्री शांतिसागर- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

आचार्य शांतिसागर महाराज जब जयपुर में चातुर्मास के लिए पहुंचे तो उन्होंने खानियों की नशियां में निवास किया। एक दिन नशियां का दरवाजा किसी ने

भाग तेईस : जब किसी की बुद्धि खराब होती है तो वह कहता है जमाने को खराब-आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग तेईस : जब किसी की बुद्धि खराब होती है तो वह कहता है जमाने को खराब-आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर

भाग चौबीस : णमोकार मंत्र के माध्यम से मिथ्या मान्यताओं को दूर करते थे आचार्य श्री शांतिसागर – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग चौबीस : णमोकार मंत्र के माध्यम से मिथ्या मान्यताओं को दूर करते थे आचार्य श्री शांतिसागर – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आचार्य श्री

भाग पच्चीस : गर्म दूध अंजुलि में डालने और आहार में अंतराय होने पर भी क्रोधित नहीं हुए थे आचार्य श्री शांतिसागर – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनिपद में मुनियों के सामने बार-बार अनेक कष्ट आते रहते हैं। इसी तरह एक बार आचार्य श्री शांतिसागर महाराज चर्या के लिए निकले। एक श्रावक

भाग छब्बीस : लोकवाणी के स्थान पर जिनेंद्र की वाणी को मानना ही सर्वथा उचित-आचार्य श्री शांतिसागर – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग छब्बीस : लोकवाणी के स्थान पर जिनेंद्र की वाणी को मानना ही सर्वथा उचित-आचार्य श्री शांतिसागर – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आचार्य श्री

भाग सत्ताईस : जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक पूरे विधान से करने पर हर स्थान की हो जाती है शुद्धि – आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग सत्ताईस : जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक पूरे विधान से करने पर हर स्थान की हो जाती है शुद्धि – आचार्य श्री शांतिसागर महाराज –

भाग अट्ठाईस : जीव वध बंद करने और पशुओं का बलिदान रोकने से बढ़ेगी पृथ्वी की ऊर्वरा शक्ति-आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग अट्ठाईस : जीव वध बंद करने और पशुओं का बलिदान रोकने से बढ़ेगी पृथ्वी की ऊर्वरा शक्ति-आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य

भाग उनतीस : क्षुल्लक बनने से पहले केशों का लोचन करना मार्ग के विरुद्ध-आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग उनतीस : क्षुल्लक बनने से पहले केशों का लोचन करना मार्ग के विरुद्ध-आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आचार्य श्री

भाग तीस : हमेशा क्रोध और कषाय से मुक्त रहते थे आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग तीस : हमेशा क्रोध और कषाय से मुक्त रहते थे आचार्य श्री शांतिसागर महाराज – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज आचार्य श्री शांतिसागर महाराज

भाग इकत्तीस : श्रावक ने आहार में किया छल तो आचार्य श्री ने स्वयं को कष्ट देकर किया कड़ा प्रायश्चित – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भाग इकत्तीस : श्रावक ने आहार में किया छल तो आचार्य श्री ने स्वयं को कष्ट देकर किया कड़ा प्रायश्चित – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर