छहढाला तीसरी ढाल छंद-3

छहढाला तीसरी ढाल छंद-3 तीसरी ढाल व्यवहार सम्यग्दर्शन जीव-अजीव तत्त्व अरु आस्रव, बन्धरु संवर जानो। निर्जर मोक्ष कहे जिन तिनको, ज्यों का त्यों सरधानो॥ है

छहढाला तीसरी ढाल छंद-5

छहढाला तीसरी ढाल छंद-5 तीसरी ढाल मध्यम, जघन्य, अन्तरात्मा और सकल परमात्मा का स्वरूप मध्यम अन्तर आतम हैं जे, देशव्रती अनगारी। जघन कहे अविरत –

छहढाला तीसरी ढाल छंद-6

छहढाला तीसरी ढाल छंद-6 तीसरी ढाल निकल परमात्मा का स्वरूप और उसके ध्यान का उपदेश ज्ञानशरीरी त्रिविध कर्ममल – वर्जित, सिद्ध महन्ता। ते हैं निकल

छहढाला तीसरी ढाल छंद-8

छहढाला तीसरी ढाल छंद-8 तीसरी ढाल आकाश, काल और आस्रव का स्वरूप व भेद सकल – द्रव्य को वास जास में, सो आकाश पिछानो। नियत

छहढाला तीसरी ढाल छंद-11

छहढाला तीसरी ढाल छंद-11 तीसरी ढाल सम्यक्त्व के पच्चीस दोष और आठ गुण वसु मद टारि निवारि त्रिशठता, षट् अनायतन त्यागो। शंकादिक वसु दोष बिना,

छहढाला तीसरी ढाल छंद-12

छहढाला तीसरी ढाल छंद-12 तीसरी ढाल सम्यक्त्व के अंगों का वर्णन जिन वच में शंका न धार ,वृष भव-सुख-वांछा भानै। मुनि-तन मलिन न देख घिनावै,

छहढाला तीसरी ढाल छंद-14

छहढाला तीसरी ढाल छंद-14 तीसरी ढाल मद,छह अनायतन व तीन मूढ़ता तप को मद न मद जु प्रभुता को, करै न सो निज जानै। मद

छहढाला तीसरी ढाल छंद-13

छहढाला तीसरी ढाल छंद-13 तीसरी ढाल वात्सल्य और प्रभावना अंग और मदों का वर्णन धर्मीसों गौ-बच्छ-प्रीतिसम, कर जिन-धर्म दिपावै। इन गुणतैं विपरीत दोष वसु, तिनकों

छहढाला तीसरी ढाल छंद-16

छहढाला तीसरी ढाल छंद-16 तीसरी ढाल सम्यग्दृष्टि मर कर कहाँ -कहाँ पैदा नही होता ? और सम्यक्त्व की महिमा प्रथम नरक बिन षट् भू ज्योतिष,

छहढाला तीसरी ढाल छंद-15

छहढाला तीसरी ढाल छंद-15 तीसरी ढाल सम्यग्दर्शन का महत्व दोषरहित गुणसहित सुधी जे, सम्यक्दरश सजे हैं। चरितमोहवश लेश न संजम, पै सुरनाथ जजे हैं।। गेही