छहढाला चौथी ढाल छंद-7

छहढाला चौथी ढाल छंद-7 चौथी ढाल ज्ञान की महिमा धन समाज गज बाज, राज तो काज न आवै। ज्ञान आप को रूप भये, फिर अचल

छहढाला चौथी ढाल छंद-9

छहढाला चौथी ढाल छंद-9 चौथी ढाल पुण्य-पाप में हर्ष-विषाद का निषेध पुण्य-पाप फलमाहिं, हरख बिलखौ मत भाई। यह पुद्गल परजाय, उपजि विनसैं फिर थाई।। लाख

छहढाला चौथी ढाल छंद-10

छहढाला चौथी ढाल छंद-10 चौथी ढाल सम्यक्चारित्र के भेद, अहिंसा और सत्य अणुव्रत के लक्षण सम्यग्ज्ञानी होय, बहुरि दिढ़ चारित लीजै। एकदेश अरु सकलदेश, तसु

छहढाला चौथी ढाल छंद-11

छहढाला चौथी ढाल छंद-11 चौथी ढाल अचौर्य, ब्रह्मचर्य और परिग्रहपरिमाण अणुव्रतों का स्वरूप तथा दिग्व्रत का लक्षण जल मृतिका बिन और, नाहिं कछु गहैं अदत्ता।

छहढाला चौथी ढाल छंद-14

छहढाला चौथी ढाल छंद-14   चौथी ढाल शिक्षाव्रतों के लक्षण धर उर समताभाव, सदा सामायिक करिये। परब चतुष्टय माहिं, पाप तज प्रोषध धरिये।। भोग और

छहढाला चौथी ढाल छंद-15

चौथी ढाल अतिचार न लगाने का आदेश और व्रत पालन का फल बारह व्रत के अतीचार, पन-पन न लगावै। मरण समय संन्यास धार, तसु दोष

छहढाला चतुर्थ ढाल सारांश

छहढाला चतुर्थ ढाल सारांश चतुर्थ ढाल का सारांश सम्यग्दर्शन हो जाने के बाद धर्मों से युक्त स्व-पर पदार्थों को प्रकाशित से करने वाला जो ज्ञान

छहढाला चौथी ढाल छंद-2

छहढाला चौथी ढाल सम्यग्दर्शन और सम्यग्ज्ञान में भेद सम्यक् साथै ज्ञान होय, पै भिन्न अराधो। लक्षण श्रद्धा जान, दुहू में भेद अबाधो।। सम्यक् कारण जान,

छहढाला चौथी ढाल छंद-6

छहढाला चौथी ढाल छंद-6 छहढाला चौथी ढाल सम्यग्ज्ञान के दोष व मनुष्य भव की दुर्लभता तातैं जिनवर कथित तत्त्व, अभ्यास करीजै। संशय विभ्रम मोह त्याग,

छहढाला चौथी ढाल छंद-8

छहढाला चौथी ढाल छंद-8 छहढाला चौथी ढाल सम्यग्ज्ञान का महत्व और विषय चाह रोकने का उपाय जे पूरब शिव गये, जाहि, अब आगे जै हैं।