छहढाला दूसरी ढाल छंद 5

छहढाला दूसरी ढाल छंद 5 दूसरी ढाल अजीव एवं आस्रव तत्त्व का विपरीत श्रद्धान तन उपजत अपनी उपज जान, तन नसत आपको नाश मान। रागादि

छहढाला दूसरी ढाल छंद 7

छहढाला दूसरी ढाल छंद 7 दूसरी ढाल निर्जरा एवं मोक्ष तत्त्व का विपरीत श्रद्धान और अगृहीत मिथ्याज्ञान का स्वरूप रोके न चाह निज शक्ति खोय,

छहढाला दूसरी ढाल छंद 8

छहढाला दूसरी ढाल छंद 8 दूसरी ढाल अगृहीत-मिथ्याचारित्र का लक्षण व गृहीत मिथ्यात्व आदि के वर्णन की सूचना इन जुत विषयनि में जो प्रवृत्त, ताको

छहढाला दूसरी ढाल छंद 9

छहढाला दूसरी ढाल छंद 9   दूसरी ढाल गृहीत-मिथ्यादर्शन और कुगुरु का स्वरूप जो कुगुरु कुंददेव कुधर्म सेव, पोषे चिर दर्शन मोह एव। अन्तर रागादिक

छहढाला दूसरी ढाल छंद 10

छहढाला दूसरी ढाल छंद 10 दूसरी ढाल कुगुरु- कुदेव का स्वरूप धारैं कुलिंग लहि महत-भाव, ते कुगुरु जन्म जल उपलनाव। जे रागद्वेष मल करि मलीन,

छहढाला दूसरी ढाल छंद-11,12

छहढाला दूसरी ढाल छंद-11,12 दूसरी ढाल कुदेव- कुधर्म का लक्षण एवं गृहीत मिथ्याज्ञान के कथन की प्रतिज्ञा ते हैं कुदेव, तिनकी जु सेव, शठ करत

छहढाला दूसरी ढाल छंद-14

छहढाला दूसरी ढाल छंद-14 छहढाला दूसरी ढाल गृहीत-मिथ्याचारित्र का स्वरूप जो ख्याति लाभ पूजादि चाह, धरि करन विविधविध देह दाह। आतम अनात्म के ज्ञानहीन, जे

छहढाला दूसरी ढाल छंद-15

छहढाला दूसरी ढाल छंद-15 दूसरी ढाल मिथ्याचारित्र और संसार के त्याग का उपदेश ते सब मिथ्याचारित्र त्याग, अब आतम के हित पन्थ लाग। जगजाल भ्रमण

छहढाला दूसरी ढाल सारांश

छहढाला दूसरी ढाल सारांश   दूसरी ढाल सारांश इस ढाल में चतुर्गति-भ्रमण व दु:खों का निदान, सात तत्त्वों का विपरीत श्रद्धान, कुगुरु-कुदेव-कुधर्म का स्वरूप, गृहीत-अगृहीत

छहढाला दूसरी ढाल छंद 4

छहढाला दूसरी ढाल छंद 4 छहढाला दूसरी ढाल मिथ्यादृष्टि की मान्यताएँ मैं सुखी-दु:खी मैं रंक राव, मेरे धन गृह गोधन प्रभाव। मेरे सुत-तिय मैं सबल