- August 22, 2025
Revue critique de Cresus pour joueurs français

- August 22, 2025
शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
ऐसे हुआ ‘ दिवाली खुशियों वाली ‘ अभियान का जन्म
मेरा चातुर्मास उदयपुर में चल रहा है । प्रवचन और अन्य धार्मिक कार्यों में समय कैसे बीत जाता है, पता ही नहीं चलता लेकिन वो
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
अंतर्मुखी के दिल की बात- 2
सबसे पहले आप सभी को आशीर्वाद। आपको पता ही है कि दिवाली खुशियों वाली अभियान चल रहा है। इस अभियान को आप सभी का जो
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
अंतर्मुखी के दिल की बात-3
साधन, प्रबंधन, मार्गदर्शन और सहयोग नहीं मिलने से दब रही हैं प्रतिभाएं जब कोई लक्ष्य लेकर निकलो तो कई लोग, कई बातें और कई प्रकार
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
अन्तर्मुखी के दिल की बात: “धर्म का रथ’
समाज और संत के बीच की कड़ी कमजोर होती दिखाई दे रही है। इसका परिणाम भी सामने दिखाई दे रहा है। यह एक तरह का अलगाव सा वातावरण संत और समाज दोनों के लिए हानिकारक है जब कि यह एक निहित सत्य है कि “धर्म का रथ’ संत और समाज रूपी दो पहिए से चलता है। इन सब में संत और समाज का तो कुछ नहीं हुआ पर धर्म की अवहेलना हो रही है। आज धर्म एक परिहास का विषय बनकर रह गया है। धीरे धीरे परिणाम यह हुआ की धर्म का व्यवसायिकरण होने लगा है और इसके तहत कई संस्थाए, मंच, क्षेत्र आदि बन गए हैं जो धर्म को व्यावसायिक संस्थान की तरह खड़ा कर दिए हैं।इसका दुष्परिणाम यह हुआ है की आज समाज के पैसों का सदुपयोग नहीं हो रहा है और धर्म में राजनीति का प्रवेश हो गया है। इससे बड़ा पाप क्या हो सकता है की संत और समाज की कमजोर कड़ी से दोनों ने अपना अस्तित्व खो दिया है। यह कड़वा सत्य है और इसे स्वीकार भी करना होगा। क्योंकि बिना त्रुटि स्वीकार किए तो हम कभी कोई सुधार कार्य या अपने वास्तविक अस्तित्व की प्राप्ति नहीं कर सकते हैं। समाज की यह स्थिति हो गई है की वह अपने नगर, कॉलोनी में संतों को लाना नहीं चाहते हैं। संत अगर पहल भी करे तो समाज को बार-बार खबर देनी होती है तब जाकर आमंत्रण देने आते हैं। जबकि प्रख्यात संतों के साथ स्थिति भिन्न है, यही कारण आज हर संत बड़ा और नामी बनना चाहता है। शायद इसी परिस्थितिवश समाज के हित के लिए एक संत को महत्वाकांक्षा का बीज स्वयं में रोपित करना पड़ता है इसके लिए बुक, पोस्टर, पत्रिका आदि का वह प्रकाशन करवाता है, तकनीकी सहायता एवं सोशल मीडिया का सहारा लेता है। किन्तु इन सब के लिए पैसा चाहिए वस्तुतः भक्त बनाना शुरू होता है। यह काम सतत् चलता है जिसका कोई अंत नहीं होता। इस चक्रव्यूह में धर्म की उपेक्षा अनजाने में ही होने लगती है। यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है दीक्षा के बाद का और इसलिए मैं यह दृढता के साथ कह सकता हूँ क्योंकि यह सब मैंने प्रत्यक्ष देखा है। क्या संत और समाज मिलकर धर्म स्थापना और समाज में संस्कारों के बीजारोपण के लिए, समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने का बेड़ा नहीं उठा सकते हैं ? क्या साथ बैठकर धर्म अनुष्ठान नहीं कर सकते हैं ?? आज मैं भी अकेला हूं तो इसमें भी कोई बात तो है किसी ना किसी की गलती तो है की समाज में कभी इस बात पर ध्यान दिया? आकर पूछा की क्या बात है ? क्या इसे समाधान निकल सकता है ? यह तो शास्त्रोक्त है, की समाज संत की चर्या का निर्वहन करे और संत समाज में संस्कारों का पोषण करे और संस्कृति के संरक्षण का मार्ग प्रदर्शित करे। किंतु यह सब नहीं हो रहा है। शायद यही कारण है की आज धर्म में राजनीति घुस गई है। जब की होना तो यह चाहिए की राजनीति में धर्म होना चाहिए। कुल मिलाकर संत और समाज दोनों ही अपने अस्तित्व को खोते जा रहे हैं। ऐसा ही होता रहा तो धर्मात्मा इस धरा पर नही बचेंगे और धर्म के नाम पर पाप होता रहेगा। आज मैंने यह आलेख कुछ घटनाओं को देख कर लिखा है। किंतु आपकी जानकारी के लिए बताऊ तो कुछ घटनाएं तो स्वयम मेरे साथ भी घटी हैं।आगे की कड़ी में अगर जरूरत पढ़ी तो उन घटनाओं की विस्तार के साथ आप से चर्चा अवश्य करूँगा।
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
कोरोना काल – एक महापरिवर्तन का समय- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
लगभग दो महीने से दुनिया का हर व्यक्ति कोरोना जैसी भयानक महामारी से दहशत में है । इस बीमारी से फैली बर्बरता ने सब की
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
विपरीत परिस्थिति हमारे अनुकूल कैसे बने? – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
इंसान वही होता जो हर परिस्थिति से लड़ना सीख जाए। अब तुम्हें भी लड़ना सीखना होगा। कोरोना महामारी का अंत कब होगा उसका किसी को
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
‘जरूरतमंदों की सहायता का अनुष्ठान भी जरूरी’-अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
कौन कहाँ जन्म लेगा? किसके साथ कब क्या होने वाला है? कौन तुम्हारे लिए क्या प्रतिक्रिया देगा? तुम गरीब परिवार में पैदा होंगे या अमीर
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
पाश्चात्य संस्कृति का अंतिम संस्कार करें -अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
हाथरस में लड़की के साथ हूई घटना दुखद है। दिल को दहला देने वाली है। क्या सही है और क्या गलत यह तो ईश्वर ही
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
अंतर्मुखी के दिल की बात:-समाज के विवादों को खत्म करो-अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
समाज की सभी राष्ट्रीय संस्थाओं के पदाधिकारियों आशीर्वाद आप इस पत्र को अवश्य पढ़ें। यह एक पीड़ा है। यह मेरी नही बल्कि सब की पीड़ा
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
‘धर्म से डरो मत, आओ और समझो’ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
उदयपुर से एक युवा श्रावक दर्शन करने लोहारिया आया। उस युवा श्रावक को मैं 20 वर्षो से जानता हूं। पूरा परिवार देव,शास्त्र और गुरु भक्त