महिलाओं को स्वयं का स्वरूप जानने की जरूरत है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

धर्म के अनुसार समाज की वर्तमान परिस्थिति को देखकर लगता है कि अब महिलाओं को अपने आप को बदलने और स्वयं के स्वरूप को जानने

आओ स्वाध्याय की परम्परा को फिर से जीवित करें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आज समाज, पंथ और संत में बंट गया है। इसी कारण धार्मिक, सामाजिक विकास थम सा गया है। धर्म करते हुए भी धर्म का फल

फिर से शुरू करें स्वाध्याय की परम्परा – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

पुरानी परम्परा को पुनः शुरू करना मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं। पुरानी परम्पराओं से ही शारीरिक, मानसिक और आर्थिक विकास सम्भव है। आज मानसिक

बनाएं स्वाध्याय की श्रृंखला – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

चलो एक बार पुरुषार्थ करें और एक श्रृंखला बनाएं। एक दूसरे को जोड़ें और स्वाध्याय की चर्चा करें। चर्चा करने से कई रास्ते खुलते हैं,

आदिनाथ जयंती पर भगवान को दें स्वाध्याय का उपहार – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आज आदिनाथ जयंती है अर्थात आज आदिनाथ भगवान का जन्मदिन है। जिसका जन्मदिन होता है उसे कुछ ना कुछ उपहार दिया जाता है। तो आज

पाठशाला : श्रावक के अष्टमूलगुणों में से एक गुण पानी छानकर पीना – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

बच्चों आज हम पाठशाला में बात करेंगे श्रावक के अष्टमूलगुणों में से एक गुण पानी छानकर पीने की। तो चलो हम पढ़ते है कि पानी

स्वाध्याय का संकल्प लें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आज हम देख रहे हैं कि एक दूसरे के प्रति विनय, सम्मान का भाव कम होता जा रहा है। सब अपने आप को बड़ा मानते

मन की निर्मलता स्वाध्याय से ही संभव है– अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

कोरोना काल में मनुष्य शारीरिक,आर्थिक और कोई मानसिक रोग से रोगी हो रहा है। शारीरिक रोग के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर

समाज के लिए समर्पण के साथ नवाचार करने वाला हो महासभा का नया अध्यक्ष- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

महासभा को अपना नया अध्यक्ष चाहिए। निर्मल जी सेठी के स्वर्गवास से एक महत्वपूर्ण जगह खाली हो गई है। इसके लिए अलग-अलग स्वर उठने लगे

शास्त्र के स्वाध्याय से होने वाला ज्ञान अमृत के समान है – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

शास्त्र स्वाध्याय ही दुःखों से बचा सकता है । शास्त्र का विनय,श्रद्धा और दान करने से गाय चराने वाला व्यक्ति आचार्य कुन्दकुन्द स्वामी बन जाता