अहम है सम्यगदर्शन का शत्रु – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

राम के पास धन, जाति सब कुछ था, पर अहंकार नहीं था तो सम्यग्दर्शन बना रहा। जब राम को धन आदि छोड़ना पढ़ा तो उन्होंने

विचार और आचरण से मिलता है मोक्ष का सुख -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मोक्ष और संसार का सुख मनुष्य को कुल, जाति, धन, सम्मान आदि के बल पर नहीं मिलता है, बल्कि उसके विचार एवं आचरण से मिलता

किसी प्राणी का नहीं करे अपमान- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

न तो धन के बल पर, न रूप के बल पर और न ही पद आदि के बल पर इस संसार में सुख, शांति और

बुरे मनुष्य की संगति से बचें -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

बुरे मनुष्य की संगति से बुराई का अनुभव होगा, धीरे-धीरे बुरी बातों का आदान-प्रदान होगा, इसलिए जो यह कहते हैं कि मैं शराब नहीं पीता,

सम्यगदर्शन मोक्ष मार्ग में सबसे अहम- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

अच्छी आइसक्रीम बनाने में दूध, शक्कर, केसर, सूखे मेवे आदि की आवश्कता होती है। इन सब में महत्ता शक्कर की है, क्योंकि आइसक्रीम में मीठा

ज्ञान और आचरण के साथ श्रद्धा है जरूरी- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज ,

ज्ञान और आचरण की कीमत तभी है जब उसके साथ श्रद्धा एवं विश्वास हो। मनुष्य के ज्ञान और आचरण का आधार भगवान की दिव्य ध्वनि

भावों की निर्मलता से ही कर्मों की निर्जरा -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

वेश कैसा भी हो पर जब तक अंदर से भाव निर्मल नहीं होते हैं, तब तक कर्मों की निर्जरा नहीं हो सकती है। कर्मों का

सम्यगदर्शन से दुख में भी होता है सुख का अनुभव -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

संसार में दुःख के अनेक कारण हैं, जिनके कारण हम असहाय हो जाते हैं। दुःखों से बचने के लिए जीवन में संसार के प्रत्येक प्राणी

जैसा करेंगे, वैसा फल मिलेगा -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

जैसी करनी वैसी भरनी। जैसा करोगे वैसा ही फल मिलेगा। जिस मनुष्य ने देव, शास्त्र, गुरु के लिए अपना मन, वचन, काय समर्पित कर दिया

जिनेन्द्र भगवान पर रखें श्रद्धा-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

तिर्यंच प्राणी मेढ़क में जिनेन्द्र भगवान पर श्रद्धा रखते हुए उसने भगवान महावीर के दर्शन के भाव बनाए और मुख में कमल की पंखुड़ी दबाते