चोरी का निमित्त बनना भी चोरी का हिस्सा-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

सही नहीं है ,बल्कि चोरी का अर्थ विस्तार से समझना चाहिए । व्यक्ति खुद सीधे चोरी नहीं करता पर किसी ना किसी रूप में चोरी

ब्रह्मचर्य व्रत में दोष के कारण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

पुरूष का स्त्री से, स्त्री का पुरुष से, पुरुष का पुरुष से, स्त्री का स्त्री से राग, वासना के साथ बात करने का, बुरे भावों

जो अपना नहीं उसमें ममत्व रखना परिग्रह- – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

जो अपना नहीं हो उसमें मूर्च्छा- ममत्व रखना, आवश्कता से अधिक का संग्रह करना, परिवार को चलाने के लिए जितना चाहिए उससे ज्यादा रखना परिग्रह

लोभ कम करने के लिए करें परिमित परिग्रह व्रत का पालन-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

लोभ को कम करने के लिए परिमित परिग्रह व्रत होता है। व्रत के अनुसार मनुष्य नियम तो कर लेता है, पर लोभ के कारण उस

दुखों से बचाता है अणुव्रत का अतिचार रहित पालन- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

रोगी दवाइयों का सेवन परहेज के साथ करता है तो रोग जल्दी ठीक हो जाता है। वही चालक दुर्घटना नहीं करता जो नियमों का पालन

अहिंसा अणुव्रत में प्रसिद्ध यमपाल चांडाल की कहानी

हम पहले जिन अहिंसा आदि पांच अणुव्रतों और उनके अतिचारों का क्रमशः वर्णन कर के आए हैं। उन्हीं अणुव्रतों में प्रसिद्ध हुए मुख्य श्रावकों के

ब्रह्मचर्य व्रत में प्रसिद्ध नीली की कहानी

तीसरे अणुव्रत अचौर्याणुव्रत में वारिषेण की कहानी का वर्णन स्थितिकरण अंग में श्रावकाचार की श्रृंखला के तहत 24 जनवरी 2021 को 24 वें दिन में

पांचवें अणुव्रत में प्रसिद्ध जयकुमार की कहानी

पांचवें अणुव्रत परिग्रहविरति में प्रसिद्ध जयकुमार की कहानी इस प्रकार है। कुरुजांगल देश के हस्तिनागपुर नगर में कुरुवंशी राजा सोमप्रभ रहते थे। उनके जयकुमार नाम

पाप से नष्ट हो जाती है मनुष्य की सौम्यता -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

पांच अणुव्रत में प्रसिद्ध व्यक्तियों नाम और कहानी पर बात कर के आए हैं। आज बात करेंगे हिंसा आदि पांच पापों में प्रसिद्ध हुए व्यक्तियों

असत्य पाप में प्रसिद्ध सत्यघोष की कहानी

जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र सम्बन्धी सिंहपुर नगर में राजा सिंहसेन रहता था। उसकी रानी का नाम रामदत्ता था। उसी राजा का एक श्रीभूति नाम का पुरोहित