भट्टारक परम्परा – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

इतिहास गवाह है कि समय के साथ श्रद्धा,ज्ञान और आचार में शिथिलता आती जा रही है साथ ही हिंसा,झूठ,चोरी, का आतंक भी बढ रहा है

आदिनाथ से महावीर: मानव पुरूषार्थ से मानव कल्याण की यात्रा – मुनिश्री पूज्य सागर जी महाराज

जैन धर्म की परम्परा में वर्तमान काल में भगवान आदिनाथ प्रथम और भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर हैं। भगवान आदिनाथ ने जीवन में पुरूषार्थ करने और

आओ जानें महावीर को…– अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

भगवान महावीर को जन जन जानता है । महावीर एक ऐसे तीर्थंकर हैं जिन्हें जैनेतर समाज भी अच्छे से जानता है। कहने का अर्थ है

देने का भाव रखोगे तो हमेशा स्वस्थ रहोगे

स्व और पर कल्याण का साधन… दान! – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महारज स्व और पर कल्याण का साधन रहा दान आज हमारे जीवन में

जीवन की जीवनी है उर्जा है आध्यात्म

अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज प्रकरण १ घर के झगड़ों का तनाव झेला ना गया, आत्महत्या कर ली। प्रकरण २- परीक्षा में अच्छे अंकों से

आपदाएं इंसान को मजबूत बनाती है

अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज प्राणी मात्र के जीवन में दु:ख, संकट और आपदा अचानक बिना कहे ही आती है। यह संकट शारीरिक, मानसिक, आर्थिक

गुरूकुल शिक्षा पद्धति : वर्तमान समय की आवश्यकता-

अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज विकास की मंशा से तीव्र गति से दौडते वर्तमान युग में चिरंतन भारतीय संस्कृति के संस्कारों पर पडा आघात आज

क्षमा के अभाव में व्यक्ति क्रोध को जगह देता है-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

पहला दिन उत्तम क्षमा धर्म दस लक्षण पर सभी वर्ग के श्रावक अपनी शक्ति के अनुसार त्याग, तप और संयम की आराधना के साथ प्रभु

अहंकार को धरातल पर रखकर जीना ही मार्दव धर्म है-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

दूसरा दिन उत्तम मार्दव धर्म उल्लासित करने वाले पर्व का आज दूसरा दिन है। इसे मार्दव धर्म कहते हैं। सच्चे शब्दों में इसकी परिभाषा यह

संस्कारों के आगाज का काल है दशलक्षण पर्व अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

इस प्रायोगिक पाठशाला में मुनि चर्या के ज्ञान को साकार करते हैं श्रावक उदयपुर -जैन समाज का पर्युषण या दशलक्षण पर्व हर मुनि बनने वाले