महावीर तीर्थंकर का जन्म और अतिशयकारी लक्षण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

अंतर्मन से शुद्ध होने के लिए ध्यान और तप जरूरी भगवान महावीर के जन्मकल्याणक पर विशेष जैन धर्म के इस काल के अंतिम तीर्थंकर भगवान

तीर्थंकर महावीर… एक नजर में

प्रस्तुति -अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज अन्य नाम- वर्द्धमान, वीर, अतिवीर, महावीर, सन्मति तीर्थकर क्रम -चतुर्विंशतम जन्मस्थान -क्षत्रिय कुण्डग्राम, वैशाली पिता नाम-सिद्धार्थ मातानाम -त्रिशला देवी

महावीर जन्मकल्याणक : भगवान महावीर कहते हैं कि हमारे कर्मों का ही फल है सुख-दुख-अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

भगवान महावीर ने प्राणीमात्र को संयमित जीवन जीने और राग-द्वेषात्मक प्रवृत्ति से दूर रहने का उपदेश दिया है। महावीर जानते थे कि आने वाला समय

जिन्होंने दु:ख में भी सुखी रहने की कला सिखाई- अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

जन्म कल्याणक पर विशेष: भगवान महावीर ने लोक कल्याण का मार्ग अपनाकर विश्व को शांति का संदेश दिया भगवान महावीर ने प्राणीमात्र को संयमित और

दया, अहिंसा, करुणा और प्रेम का महापर्व है चातुर्मास

धर्म और अध्यात्म: चातुर्मास महापुण्य का अर्जन करने का साधन अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर चातुर्मास महापुण्य अर्जन करने का साधन है। यह समय अधिक से अधिक

दशलक्षण पर्व का प्रारंभ ऐसे हुआ ,- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

अनादिकाल से पृथ्वी क्षेत्र का समूचे ब्रह्मांड में धीरे-धीरे परिवर्तन होता रहता है और एक समय आता है कि पृथ्वी पूरी तरह नष्ट हो जाती

आदिवासियों को पारंपरिक हुनर से जोडऩे की जरूरत : अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर

  आज विश्व आदिवासी दिवस है। आदिवासी, जैसा कि उनके नाम से पता चलता है, उपमहाद्वीप के शुरुआती निवासी हैं और वर्तमान की तुलना में

प्रकृति के सौंदर्य को लौटाने का पर्व है दशलक्षण – अंतर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

शास्त्रों में पर्व दो प्रकार के बताए गए हैं, पहला तात्कालिक और दूसरा त्रैकालिक। तात्कालिक पर्व व्यक्ति विशेष या घटना   विशेष से संबंधित होते

उत्तम क्षमा कहानी : जब मुनि जी खुद पर हमला करने वालो को माफ नहीं करने तक अन्न जल त्याग दिया- अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर

पर्युषण पर्व विशेष : पहला दिन – उत्तम क्षमा धर्म पुलिस अधिकारियों की सख्त सजा देने की बात पर नाराज हो गए थे जैन मुनि