जो हो उसे कर्मफल समझें और साम्य भाव रखें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

चार महीने से स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। ज्योतिष और देवत्व शक्ति के भी संकेत थे कि स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा। इस बीच 45

भय मनुष्य को जीते जी मार देता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

भय एक कर्म है जो मनुष्य को जीते जी मार देता है। डर को भय कहते हैं। जिस कर्म के उदय से जीव को सात

अपने शुभ और अशुभ कर्मों का हिसाब रखो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

आज हमें यह विचार करने की आवश्यकता है कि हम प्रतिदिन जो कार्य कर रहे है क्या वे हमें ऊंचाइयों तक ले जाने वाले है

सब कर्म फल से मिलता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

जन्म से शरीर, चेहरा सुंदर नही हो तो कई प्रकार के क्रीम, पाउडर लगाकर सुंदर करते हैं। आवाज मधुर नहीं हो तो मुलेठी, इलाइची खाकर

सब कर्म का फल है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

जीवन की सच्चाई को जानने के लिए कर्म सिद्धांत को समझना अत्यंत आवश्यक है। कर्म सिद्धांत को प्रैक्टिकल में समझने के लिए स्वयं के जीवन

आज के कर्म सुधार लो, भूत-भविष्य अपने आप सुधर जाएंगे – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

दुनिया में सब कर्मों के मारे हैं। किसे कब क्या हो जाए, किसके क्या भाव बन जाएं, कौन कब क्या कर ले, यह किसी को

दुखों पर नहीं अपने कर्मों पर ध्यान दो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

धर्म करने के बाद भी दुःख पीछा नही छोड़ता है तो मन विचलित हो जाता है। नकारात्मक विचार आने लगते हैं। देव, शास्त्र, गुरु से

ऐ मानव…मेरे सदगुणों को देखो और पहचानो – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

एक अर्थ में रावण का जीवन प्रेरणा देने वाला भी है। यहां मैंने कभी उस दृष्टि के साथ पढ़ा और समझा ही नहीं। केवल, उसे

सहज और सकारात्मक सोच के साथ जीवन जिएं – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

हमारे सुख-दुख का कारण हम स्वयं हैं। हम जैसा करेंगे उसका वैसा ही फल हमारे पास वापस आएगा, तो फिर क्यों हम भूत और भविष्य

सुख को चरम लक्ष्य मान लेना भारी भूल है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

धर्मानुरागी बंधुओं आज स्वामी विवेकानंद जयंती पर उनकी पुस्तक “कर्मयोग“ के पहले अध्याय “कर्म का चरित्र पर प्रभाव“ की कुछ खास बातें पढ़िए और प्रेरणा