- August 22, 2025
Revue critique de Cresus pour joueurs français

- August 22, 2025
शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
कहानी:- ‘सिक्के के दोनों पहलू देखिए’ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
एक समय की बात है। एक गांव में 6 अंधे व्यक्ति रहते थे। वह बड़ी खुशी के साथ आपस में रहते थे। एक बार उनके
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
अंतर्मुखी की झोली से श्रद्धा की जीत समझाती गुल्लिका अज्जि की कहानी
प्यारे बच्चों, आओ…आज मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं। यह कहानी श्रद्धा और विश्वास की जीत की है। यह कहानी है गुल्लिका अज्जि की। तुम जानते हो इनके बारे में? नहीं न, तो आज मैं तुम्हें इन्हीं के बारे में बताता हूं। बच्चों, आज से लगभग 1200 साल पहले दक्षिण में बेलगोला नाम का एक नगर था। आज इसे कई नामों से जाना जाता, जैसे श्रवणबेलगोला, बाहुबली, गोम्मटेश्वर आदि…। शायद तुमने इनमें से कोई एक नाम सुना हो। वहां भगवान बाहुबली की 57 फुट ऊंची प्रतिमा है, जो विंध्यगिरी पर्वत पर स्थित है। इसे चामुंडराय नाम के एक सेनापति ने बनवाया था। जब इस मूर्ति पहला मस्तकाभिषेक होने वाला था तो बच्चों, उस समय एक बड़ी ही अद्भुत घटना घटी। बाहुबली भगवान का अनेक घटों यानी घड़ों से अभिषेक किया जा रहा था। पर वह अभिषेक भगवान की मूर्ति के घुटनों से नीचे ही नहीं आ पा रहा था। सब चिंता में पड़ गए, कि आखिर यह क्या हुआ। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उसी समय आचार्य नेमीचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्ती ने कहा कि इस महोत्सव में कोई न कोई एक ऐसा व्यक्ति बचा है, जिसने अभी तक अभिषेक नहीं किया है। जब तक वह अभिषेक नहीं करेगा, तब तक मूर्ति का अभिषेक पूरा नहीं होगा। तभी उस भीड़ में एक बुढ़िया दिखी, सबकी निगाहें उस पर गई। उसने अभी तक अभिषेक नहीं किया था। वह हाथ में नारियल की छोटी सी नटी में दूध लेकर खड़ी थी। बच्चों, तुम्हें पता है कि उस बुढ़िया को अभिषेक के लिए ऊपर ले जाया गया। जैसे ही बुढ़िया ने नारियल की नटी से दूध भगवान के मस्तक पर डाला तो क्या देखते हैं कि पूरी की पूरी मूर्ति दूध से भीग गई। यही नहीं फिर उसी दूध की धारा से पहाड़ के नीचे एक तालाब भी बन गया। सबसे बड़ा चमत्कार तो यह हुआ कि बुढ़िया अभिषेक करते ही कहां गायब हो गई, किसी को पता ही नहीं चला, सब ढूंढते रहे। उसी समय आचार्य नेमीचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्ती ने चामुंडराय सहित उपस्थित लोगों से कहा कि वह बुढ़िया और कोई नहीं, भगवान नेमिनाथ की यक्षणि कुष्मण्डनी देवी थी। वह तुम्हें उपदेश देने आई थी कि इस मूर्ति का अमीर-गरीब, हर कोई अपनी श्रद्धा से अभिषेक कर सकता। पैसा महत्व नहीं रखता, श्रद्धा महत्व रखती है। बच्चों, तुम्हें पता है कि इस बार और इसके पहले भी महामस्तकाभिषेक में वहां के भट्टारक चारूकीर्ति स्वामी जी ने इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए गुल्लिका अज्जि कलश रखा है। वह बुढ़िया गुल्लिका अज्जि के नाम के विख्यात है। देखा बच्चों तुमने धर्म का प्रभाव। तो अब तुम इस कहानी को याद कर अपने मित्रों को भी सुनाना। और हां, अगर तुम्हें गुल्लिका अज्जि की प्रतिमा देखनी है तो फिर तुम श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषेक में जाना और वहां जाकर देखना। वहां भगवान बाहुबली की मूर्ति के ठीक सामने विंध्यगिरी पर्वत पर ही गुल्लिका अज्जि की प्रतिमा है। इसे चामुंडराय ने ही वहां पर रखवाया था। तो देखा तुमने बच्चों कि कैसे श्रद्धा की जीत हुई और तुम्हें भी पूजा के समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भगवान की पूजा के वक्त सामग्री के साथ विश्वास और श्रद्धा का महत्व सबसे अधिक है। इसलिए जब भी पूजा करो, सच्चे मन से करो, पूरी श्रद्धा से करो, यह मत सोचो कि मेरे पास पूजन की पूरी सामग्री है या नहीं है। अगली बार फिर एक नई कहानी के साथ मिलेंगे… तुम्हारा अन्तर्मुखी
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
ममता की एक अनूठी कथा :- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
श्रवण कुमार एक पौराणिक पात्र हैं जिन्हें आज भी मातृ-पितृभक्ति के लिए जाना जाता हैं। इतिहास में मातृभक्ति और पितृभक्ति के लिए श्रवण कुमार का
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
“संतजन वंदनीय क्यों माने जाते हैं?’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
सूर्यकुल में भगवान राम के दादा अज बड़े दानी थे। वह प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर भगवान की भक्ति किया करते थे। वे भक्ति में इतने
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
‘जैसी करनी, वैसी भरनी’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
एक गांव में दो मित्र रहते थे। एक बार उन्हें एक बड़ा खजाना मिला। कपटी मित्र ने कहा कि आज मुहूर्त ठीक नहीं, इसलिए हम
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
‘अवसर की पहचान’
एक बार एक ग्राहक चित्रों की दुकान पर गया। उसने वहां पर अजीब से चित्र देखे। पहले चित्र में चेहरा पूरी तरह बालों से ढका
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
कहानी :- ‘शेर बनना है या लोमड़ी’-अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
एक बार एक किसान जंगल में लकड़ी बीनने गया तो उसने एक अद्भुत बात देखी। एक लोमड़ी के दो पैर नहीं थे, फिर भी वह
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
कहानी :- जिसका काम उसी को साधे अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
जाट और बनिये में अच्छी दोस्ती थी । जाट खेती करता था । बनिया अपने व्यापार में मस्त रहता था। एक साल बारिश नहीं हुई।
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
कहानी:- ‘संघर्ष ही शक्ति को विकसित करता है’- अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
एक बार एक आदमी ने अपने बगीचे में एक तितली के कोकून को देखा। उसने देखा कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बना
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शोक संदेश:प्रिय श्री गजराज जी
कहानी:-‘विश्वास का भाव’ – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज
एक व्यक्ति बहुत परेशान था। उसके दोस्त ने उसे सलाह दी कि कृष्ण भगवान की पूजा शुरू कर दो। उसने कृष्ण भगवान की मूर्ति घर