कहानी – मेंढक ऐसे बना देव – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज

प्रथमानुयोग के ग्रन्थ में जिनेन्द्र दर्शन, पूजन का महत्व बताने वाली एक कथा आती है। उस कथा का सारांश यही है कि जिनेन्द्र भगवान की

कहानी – मुनि तिरस्कार से होगा विद्या का नाश – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

पद्म पुराण के पर्व – पांच में मुनि के तिरस्कार के फल को बताने वाली कथा का वर्णन है। उस कथा का सारांश यहां आप

कहानी : अंजना को मिला प्रतिमा के अपमान का फल – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

बच्चों आज कहानी है हनुमान जी की मां अंजना की। यह कहानी पद्मपुराण के पर्व 17 में है। मुझे विश्वास है कि आप सब इस

कहानी : जीवन में अच्छे संस्कारों का बीजारोपण करें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

पूर्व भव के बैर के कारण ही हम एक दूसरे को मारते, कष्ट देते हैं, इसलिए हमें अच्छे संस्कारों का जीवन मे बीजारोपण करना चाहिए।

कहानी : कुवचन का मिलता है बुरा फल – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

आज इस बात की तरफ आप सबका ध्यान लाना चाहता हूं कि पद्मपुराण के पर्व 5 में एक कथा आती है, जिसमें मुनि निंदा का

कहानी : कभी ना करो मुनि का अपमान – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

पद्मपुराण के पर्व 9 में बाली मुनि और रावण के जीवन का एक प्रसंग आता है जो हमे शिक्षा देता है कि मुनियों का अपमाना

कहानी : उत्तम तप आत्मा की मुक्ति के लिए किया जाता है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

बात धार्मिक नगरी उज्जयिनी की है। वहां एक राजा थे। उनके दो बेटे थे- भर्तृहरि और शुभचंद्र। एक दिन दोनों तपस्या करने चले गए। भर्तृहरि

कहानी : चरित्र ही धर्म का मूल है – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

आंखों से देखा और कानों से सुना ही सत्य नहीं होता। मात्र ज्ञान से जाना हुआ ही सत्य होता है। वस्तुनिष्ठ कथनों का आचरण करना

कहानी : नियम पर अटल रहें – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

जिसके जीवन में संयम नहीं उसका जीवन बिना ब्रेक की गाड़ी जैसा है। अब सवाल उठता है कि क्या केवल मनुष्य ही जीवन में संयम

कहानी : और वे अरिहंत बन गए – अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज

अयोध्या नगरी के राजा राम दीक्षा लेकर मुनि बन गए। उनकी पत्नी रानी सीता ने पृथ्वीमति मांं से दीक्षा ली थी। तप के प्रभाव से