प्रेक्टिकल संत हैं मुनि पूज्य सागर

मुनि पूज्य सागर जी महाराज ने चातुर्मास के दौरान किशनगढ़ में धर्म प्रभावना की। मेरी नजर में वह एक प्रेक्टिकल संत हैं, जो सभी को

मुनि श्री से मिला आगे बढ़ने का हौसला

जब मैं महाराज श्री से मिली तो कुछ चीजों को लेकर बहुत परेशान थी। मैंने उनसे पूछा कि क्या कारण है कि हमें अच्छा काम

सौभाग्यशाली है किशनगढ़ की जनता और मैं भी

मुनि श्री पूज्य सागर जी के किशनगढ़ आने से यहां की धरा सदा के लिए पवित्र हो गई है। हम सभी लोग अपने आपको धन्य

खुली किताब हैं मुनि श्री पूज्य सागर

अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर महाराज से यूं तो मेरा रिश्ता ऐसा ही था, जैसा कि एक संत और एक श्रद्धालु के बीच होता है

साथ लेकर चलना सीखा

गुरुदेव से मिलने के बाद मेरे जीवन में काफी परिवर्तन आया है। उनसे मैंने सीखा कि सभी को साथ लेकर कैसे चला जाए, समाज में

मिला जीवन जीने का नया नजरिया

आत्म-अवलोकन को सदैव सीखने की प्रक्रिया माना गया है और जब हमेशा परहित की चिंता करने वाला संत इस आत्म-अवलोकन में लीन हो जाए, उसके

तत्ववेत्ता महापुरुष दूर कर रहे हैं अंधकार

चिंतन से जनसरोकार पूरे होते हैं और जितना चिंतन बढ़ेगा, उतनी ही चिंता कम होती जाएगी, यह मैंने मुनि श्री की 48 दिन की मौन

जीवन सफल हुआ मेरा

मैं वह भाग्यशाली हूं, जिसे अंतर्मुखी मुनि श्री पूज्य सागर जी महाराज की 48 दिवसीय मौन साधना के दौरान उनकी साधना में सम्मिलित होने का

नई ऊर्जा से लबरेज हो गया

जब से मुनि श्री का किशनगढ़ आगमन हुआ है, तब से मैं लगभग हर रोज उनके साथ रहता हूं। किशनगढ़ में कई संतों और जैन

सबसे अलग हैं मुनि पूज्य सागर

किशनगढ़ बहुत से मुनियों की कर्मस्थली रही है। आयुर्वेदाचार्य होने की वजह से मैं कई मुनियों और संतों के सान्निध्य में रहा लेकिन सच कहूं