सातवां दिन : स्व-कल्याण के लिए है मेरा चिंतन, इसे पर-कल्याण समझना मेरी भूल – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मेरी मौन साधना का सातवां दिन है और इस दिन मैं अपनी एक भूल आप सभी के समक्ष स्वीकार करना चाहता हूं। यह मेरी भूल

आठवां दिन : मेरा मन आज बेहद बेचैन है। मैं अब तक दूसरों के बारे में बुरा सोच रहा था जबकि मेरे अस्तित्व के लुटेरे तो मेरे साथ ही हैं – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

आज मौन साधना का आठवां दिन है। चिंतन के दौरान जहन में एक बात उठी कि देखा जाए तो मौन साधना में पांचों इंद्रियां (स्पर्श,

नौवां दिन : इंसान खुद कर्म का जाल बुनता है और उसी में फंस जाता है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से अन्तर्मुखी ने मौन साधना के 9 वें दिन कहा- आज कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है। घबराहट, बेचैनी

दसवाँ दिन : गलतियां स्वीकारना पाप नहीं प्रायश्चित है – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से आज मेरी मौन साधना का 10 दिन । जितना मैं निर्विकल्प होता जा रहा हूं, उतना ही खुद को

ग्यारहवां दिन : संत और प्रभु जगत के होते है और जगत उनका – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से आज मेरी मौन साधना का 11 वां दिन । आत्म साधना जाति-धर्म से हटकर होती है। आत्मा का कोई

बारहवां दिन : आपसी विवाद के कारण संस्कृति, संस्कार का नाश – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से आज चिंतन में पीड़ा थी। पीड़ा भी यही थी कि जिनकी आराधना से कर्मों का नाश होता है, आज

तेरहवां दिन : संतान को शुभकर्म की प्रेरणा दें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से आज चिंतन में चिन्ता थी। पिता अपनी संतान को धन,वैभव,जमीन आदि देना अपना कर्तव्य मानता है, यही वर्तमान में

चौदहवां दिन : शरीर का सही उपयोग आत्मसाधना से ही – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मैं निर्मल हूं, मैं कर्ममल रहित हूं, मैं सिद्ध हूं और मैं ज्ञाता हूं। यह भावनाएं जीवन में शुभक्रिया

पंद्रहवां दिन : पुरुषार्थ ही व्यक्ति को बनाता है मजबूत – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मेरे जीवन का अनुभव है कि पुरुषार्थ जीवन की हर मुश्किल से लड़ना और अपनी सही दिशा तय करना

सोलहवां दिन : जिनेन्द्र के प्रति भी अपनवत का व्यवहार रखें – अन्तर्मुखी मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 16वां दिन। आज चिंतन में  विचार आया कि मनुष्य भगवान को श्रीफल, बादाम, चावल, जल, दूध