अड़तीसवां दिन : इंसान को कमजोर करता है अहंकार – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 38वां दिन। इंसान को उसका अहंकार कमजोर कर देता है। अहंकार में इंसान यह भूल जाता

उन्तालीसवां दिन : मन वचन और काय एक हो – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 39वां दिन। मन, वचन और काय यह जब अलग- अलग काम करते हैं तो इंसान को

चालीसवां दिन : आपस की बातचीत बंद न करें – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 40वां दिन। आज चिंतन में बहुत छोटी बात आई, पर सुखी जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण

इकतालीसवां दिन : सभी प्राणियों को अपना मानने की जरूरत – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 41वां दिन। मैं शुद्ध हूं, निर्मल हूं पर कर्मों के कारण मलिन हो गया हूं। मुझे

ब्यालीसवां दिन : गृहस्थ के संपर्क से साधु के संयम में बाधाएं – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 42वां दिन। आज चिंतन में अनुभव भी हुआ और मैंने भी अनुभव किया कि अगर साधु

तियालीसवां दिन : नाम का नहीं, गुणों का सम्मान – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 43वां दिन। मां-बाप अपने बच्चे का नाम, व्यापारी अपनी दुकान का नाम और सरकारें अपनी योजनाओं

पैतालिसवां दिन : भोजनशाला को दूषित होने से बचाना जरूरी – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 45वां दिन। भारतीय संस्कृति में इंसान की पहचान उसके आचरण से ही होती है। आचरण के

चवालीसवां दिन : संक्लेश भाव से न करें धार्मिक अनुष्ठान – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 44वां दिन। धार्मिक कार्यों में  अपने- अपने मनमुटाव या धार्मिक अनुष्ठान में लाभ-हानि का हिसाब देखेंगे

मन की आवाज सुनें – मुनि पूज्य सागर महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 46वां दिन। कहना आसान है, पर करना मुश्किल। सुनना अच्छा है, पर अनसुना करना मुश्किल। देखना

सैतालिसवां दिन : इंसान की पहचान उसकी इंसानियत – अंतर्मुखी पूज्य सागर जी महाराज

मुनि पूज्य सागर की डायरी से मौन साधना का 47वां दिन। विवाद में नहीं सुलह में, तर्क में नहीं जिज्ञासा में, बोलने में नहीं सुनने